By रितिका कमठान | May 12, 2025
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय हवाई हमलों में आतंकवादियों का भी खात्मा हुआ है। इस हमले में तीन आतंकवादी मारे गए थे। इनके अंतिम संस्कार में कुछ पाकिस्तानी सैन्य और पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए थे। लाहौर के मुरीदके में इन आतंकवादियों का अंतिम संस्कार हुआ जिसमें सेना के अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज की गई है। इसका नेतृत्व अब्दुल रऊफ ने किया, जो अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का वरिष्ठ सदस्य है।
बता दें कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सेना अधिकारियों की उपस्थिति की पहचान की है। अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले लाहौर की चतुर्थ कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह भी है। उनके अलावा 11वीं इन्फैंट्री डिवीजन के मेजर जनरल राव इमरान सरताज, ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर, पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर, और प्रांतीय विधानसभा के सदस्य मलिक सोहैब अहमद भेरथ शामिल थे।
बता दें कि अंतिम संस्कार के बाद भारत ने मुरीदके में लश्कर ए तैयबा के मुख्यालय और बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के अड्डे समेत कुल नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ये हमले हुए थे। इन हमलों में 26 लोगों की मौत हुई थी। वहीं भारतीय रक्षा अधिकारियों का कहना है कि मुरीदके ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख आतंकवादियों का सफाया हुआ है। इन आतंकवादियों का अंतिम संस्कार पाकिस्तान में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। आतंकवादियों के शव वाले ताबूत को पाकिस्तानी राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया।
बता दें कि जनाजे की नमाज अब्दुल रऊफ ने अदा की, जिसे अब्दुर रऊफ के नाम से भी जाना जाता है। ये लश्कर-ए-तैयबा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) से जुड़ा एक वैश्विक रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी है। पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ-साथ अंतिम संस्कार में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका ने भारत में चिंता बढ़ाई है। रऊफ न केवल आत्मघाती हमलावरों की भर्ती करने वाला और उन्हें प्रशिक्षित करने वाला अनुभवी व्यक्ति है, बल्कि वह सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के अधीन भी काम कर चुका है। उसकी प्रत्यक्ष भूमिका ने प्रतिबंधित समूहों के साथ पाकिस्तान के आधिकारिक गठजोड़ के बारे में चिंताओं को और मजबूत किया है।
भारत सरकार ने इसके जवाब में कहा ये
भारत ने अंतिम संस्कार की तस्वीरें और वीडियो जारी किए, जिसमें पाकिस्तानी सेना के जवान आतंकवादियों के ताबूत ले जाते हुए दिखाई दिए, जिसके बाद भारत सरकार ने आतंकवादियों को “राजकीय अंतिम संस्कार” देने के लिए इस्लामाबाद को आड़े हाथों लिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सार्वजनिक रूप से आतंकवादियों को सम्मानित करने के पाकिस्तान के संदेश पर सवाल उठाया, विशेषकर तब जब ताबूतों को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था और राज्य के अधिकारियों द्वारा उन्हें संभाला गया था।
उम्मीद है कि भारत इन घटनाक्रमों को यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति की आगामी बैठक में पेश करेगा, जिसमें पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के उल्लंघन के सबूत के रूप में इन तस्वीरों और साक्ष्यों का इस्तेमाल किया जाएगा। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने और पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में फिर से सूचीबद्ध करने की मांग भी तेज हो गई है।
जैश-ए-मोहम्मद के नेताओं के बारे में जानें
लश्कर-ए-तैयबा के हताहतों के अलावा, हमलों में कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर और मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर की मौत हो गई। वह 1999 के आईसी-814 अपहरण और भारत में कई हाई-प्रोफाइल आतंकी हमलों के पीछे एक जाना-माना नाम था। बहावलपुर बेस पर उसके और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की मौत ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि उसके आतंकी संगठनों की जांच बढ़ रही है।
भारत की आगे की रणनीति
भारत संयुक्त राष्ट्र और FATF सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को दिए जा रहे समर्थन के लिए जवाबदेही की मांग कर सकता है। मुरीदके में हुए घटनाक्रम से पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं की वैश्विक धारणा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।