By दिव्यांशी भदौरिया | Dec 30, 2025
सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए वरदान मानी जाती है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं या अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य और सौभाग्य की इच्छा रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करने से श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से संतान के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता के मार्ग खुल जाते हैं। माना जाता है कि इन मंत्रों के जाप करने से ग्रहों की शांति और सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए शुभ माना जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए मंत्र
एकादशी के दिन मंत्रों के जाप से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि यह घर के वातावरण को भी दिव्य बनाता है। यदि आप अपनी संतान की उन्नति चाहते हैं, तो इन मंत्रों का जाप करें। यदि कोई दंपति संतान की कामना कर रहा है को उन्हें 'ॐ क्लीं कृष्णाय नमः' या 'ॐ देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः' मंत्र का जाप करना चाहिए। आपको बता दें कि, यह मंत्र भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप को समर्पित है और अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। संतान के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। इस महामंत्र के जाप करने से श्री विष्णु से संरक्षण प्राप्त होता है और बच्चे के करियर व स्वास्थ्य में सुधार आता है।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद और पीले वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी की माला से कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें।