यूपी में कानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा करने वाले लोग आज खुद संकट में हैं

By मृत्युंजय दीक्षित | Apr 27, 2023

प्रदेश का कुख्यात माफिया अतीक जिसने राजनीति में भी हाथ आजमाया था वह अपने भाई अशरफ के साथ मिट्टी में मिल चुका है यद्यपि अपराध में उसके दो प्रमुख साझीदार शाइस्ता और गुड्डू मुस्लिम अभी फरार हैं और हजारों करोड़ रुपयों का काला साम्राज्य अभी भी जीवित है। आतंक व भय के पर्याय बन चुके अतीक व अशरफ की अब केवल कहानियां ही शेष रह गई हैं किंतु यह हत्याएं अपने पीछे कई राज भी दफन कर गई हैं और कई नयी आशंकाएं भी पैदा कर गई हैं।


जब अतीक व अशरफ की हत्या का समाचार मीडिया में आया तब एकबारगी लगा कि पुलिस हिरासत व सुरक्षा के बीच इस प्रकार से यह घटना नहीं घटित होनी चाहिए थी और यह भी लगा कि यह तो पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेसिंयों की घोर लापरवाही है किंतु जैसै-जैसे समय आगे बढ़ रहा है तथा इनकी आपराधिक कहानियां व दर्दनाक घटनाएं सामने आ रही हैं उससे जन सामान्य स्वाभाविक रूप से कह रहा है कि जो हुआ वह अच्छा हुआ।


माफिया अतीक पर इस समय 101 व उसके भाई अशरफ पर 52 मुकदमे चल रहे थे जिनमें से एक मुकदमे में उसको आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी और अन्य मामलों में उसे सजा दिलवाने के लिए रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की जा रही थी और सूत्रों की मानें तो वह दोनों सजा के भय से कुछ राज बेपर्दा भी कर रहे थे। यह भी एक कड़वा सत्य था कि क्या सभी 101 मामलों में उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलती क्योंकि वह राजनीतिक रूप से संरक्षण प्राप्त माफिया था और स्वयं भी एक बार सांसद और चार बार विधायक भी रह चुका था।

इसे भी पढ़ें: ‘जिंदा’ अतीक ब्रदर्स योगी की सरकार को देते ज्यादा ‘संजीवनी’

एक कुख्यात माफिया अपने कुकर्मों के चलते मार दिया गया और इस बात पर देश तथा प्रदेश के तथाकथित सेक्युलर दल तथा जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं हैं उन राज्यों के मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को घेरने के लिए तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। यही नहीं इन दलों के नेता ठीक उसी प्रकार से आंसू बहा रहे हैं जिस प्रकार से कभी कांग्रेस की नेता श्रीमती सोनिया गांधी ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर आंसू बहाये थे। इस बात में कोई संदेह नहीं लग रहा है कि अतीक व अशरफ की हत्या एक सुनियोजित साजिश के तहत की गई है क्योंकि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से उनसे लिंक खुलने प्रारम्भ हो गये थे और जिसके तार विपक्ष के कुछ बहुत बड़े नेताओं से जुड़ सकते थे। साजिशकर्ताओं ने अतीक व अशरफ की हत्या कराकर एक बहुत बड़ा खेल खेलना चाहा था किंतु अब वह खेल विरोधी दलों व साजिशकर्ताओं के खिलाफ ही जा रहा है। यह लोग सोच रहे थे कि अतीक व अशरफ की हत्या के बाद पूरा प्रदेश दंगों की आग में झुलस उठेगा और फिर योगी सरकार कमजोर होगी तथा वह नैतिक आधार पर इस्तीफा देगी, प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगेगा किंतु प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदियानाथ की तत्परता और प्रशासनिक कुशलता के कारण प्रदेश में कहीं कोई तनाव नहीं है वरन हर जगह शांति और संतोष का वातावरण है।


अतीक व अशरफ की मौत पर रो रहे निहित स्वार्थी व विकृत विचारधारा वाले सेक्युलर राजनैतिक दल कुख्यात माफिया अतीक अहमद के लिए ''जी'' शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। एआईएमआईएम पार्टी के नेता असद्दुदीन ओवैसी जैसे लोग माननीय मुस्लिम सांसद कहकर उस खतरनाक अपराधी का महिमामंडन कर रहे हैं और उसकी आड़ में अतीक के गुनाहों को कम करने का भी अपराध करते हुए अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। इन सभी राजनैतिक दलों को लग रहा है कि ऐसा करने से वह प्रदेश में योगी सरकार की छवि को खराब करने में सफल हो जायेंगे जबकि सच्चाई यह है कि इन दलों की ऐसी हरकतों से भाजपा मजबूत हो रही है और योगी जी की छवि एक सख्त प्रशासक के रूप में सामने आ रही है। प्रदेश का जनमानस आज प्रसन्न है क्योंकि उसे लग रहा है कि बहुत दिनों बाद प्रदेश में एक ऐसी सरकार आई है जो अपराधियों व माफियाओं को मिट्टी में मिल रही है।


आज अतीक, अशरफ व उसके गुर्गों के एनकाउंटर व धरपकड़ से समाज का वह वर्ग ख़ुशी मना रहा है जो कभी इन लोगों की प्रताड़ना का शिकार हुआ था। अतीक अहमद ने वर्ष 2005 में दलित नेता व बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या केवल इसलिए करवाई थी क्योंकि वह अतीक के भाई अशरफ के खिलाफ चुनाव जीतकर विधायक बने थे और एक बहुत ही साधारण परिवार से आए थे। राजू पाल ने विधायक बनने के बाद अतीक से आशीर्वाद लेने के लिए अतीक को फोन किया और कहा कि भइया विधायक बन गये तो अतीक ने जवाब दिया था कि विधायक तो बन गये लेकिन अब जिंदा रहकर दिखाओ। राजू पाल की आखिरकार एक दिन हत्या हो ही गई और फिर अब उसके गवाह उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई। बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल का परिवार 18 साल से न्याय मांग रहा था और इस बीच सपा और बसपा दोनों ही दलों की सरकारें आईं किंतु पिछड़ों और दलितों के नाम पर वोट मांगने वाले इन दलों ने कभी भी राजू पाल के परिवार के साथ न्याय नहीं किया।


अतीक अहमद एक दुर्दांत अपराधी था। विरोधियों को शांत करने के लिए वह हत्या और अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देता था। अतीक ने खौफ का साम्राज्य स्थापित किया था। इनका खौफ इतना अधिक था कि हाईकोर्ट में केस जाने के बाद जस्टिस तक अतीक मामले की सुनवाई करने से इंकार कर देते थे। आज कोई कुछ भी कह रहा हो लेकिन मन ही मन यह जज लोग भी कहीं न कहीं खुश हो रहे होंगे। 

इसी अतीक अहमद ने अपने घर के आसपास के हिंदुओं को मकान खाली करने का आदेश दिया था। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे। अतीक का कहना था कि हिंदुओं ने कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिये हैं। अतीक के फरमान का मामला लेकर घरों के मालिक पुलिस के पास गये थे कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। प्रयागराज व उसके आसपास के जिलों के निवासियों का कहना है कि सपा सरकार के समय अतीक व उसके गुर्गों का खौफ इतना अधिक बढ़ गया था कि बहन बेटियां उनके इलाकों से जाने में डरती थीं क्योंकि यह लोग हिंदू समाज की बहन बेटियों के साथ ही नहीं अपितु मुस्लिम समाज की बेटियों के साथ भी छेड़छाड़ तथा बलात्कार जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम देते थे और उन निरीह बच्चियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती थी। आज उन बेटियों को सही और सच्चा न्याय मिल गया है और वह जहां भी होंगी वहां आनंद का उत्सव मना रही होंगी।


लेकिन जन भावनाओं से परे तथाकथित सेक्युलर दल लगातार रो रहे हैं और अतीक के नाम पर अपना मुस्लिम वोट बैंक बटोरने का असफल प्रयास कर रहे हैं। यह वही दल हैं जो पालघर में पुलिस कस्टडी में साधुओं की हत्या पर गूंगे हो गए थे। यह वही दल हैं जो लखनऊ में घर में घुसकर कमलेश तिवारी की हत्या पर चुप रह जाते हैं और निंदा तक नहीं करते। राजस्थान में कन्हैया लाल से लेकर महाराष्ट्र में उमेश कोल्हे तक की हत्या पर रहस्यमयी चुप्पी साधे रहते हैं किंतु यही दल अतीक व अशरफ जो खतरनाक मुजरिम थे उनके लिए जी और माननीय मुस्लिम सांसद जैसे शब्दों का प्रयोग कर उनका महिमामंडन केवल अपने वोट बैंक के लिए कर रहे हैं जो अब सफल नहीं होने वाला है।


अखिलेश का तो ठीक है लेकिन उत्तर प्रदेश में बसपा नेत्री मायावती ने जिस प्रकार से अतीक व अशरफ की हत्या पर दुख जताया है और निंदा की है वह तो बहुत ही आश्चर्यजनक है क्योंकि यह वही अतीक अहमद था जिसने मायावती के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड की रचना की थी और अतीक की हत्या से उन्हीं की पार्टी के विधायक राजू पाल के परिवार को नैसर्गिक न्याय मिल गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ बता दिया है कि प्रदेश में अब कानून का राज है। योगी का साफ कहना है कि पहले जो माफिया प्रदेश के लिए संकट थे अब वे स्वयं संकट में हैं। बात सच है क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 2012 से 2017 तक के 700 से अधिक दंगे हुए जबकि 2002 से 2007 के बीच में 364 से अधिक दंगे हुए लेकिन योगी जी के शासन सँभालने के बाद 2017 से 2023 तक प्रदेश में कहीं कोई दंगा नहीं हुआ और न ही कहीं कर्फ्यू लगा।

  

- मृत्युंजय दीक्षित

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी