By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 08, 2025
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी पक्षियों से फैलने वाली इन बीमारियों को गंभीर खतरा मानते हैं। कोविड 19 जैसी महामारी से भी हम सभी को यह सीख मिली है कि पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को नजरअंदाज करना काफी खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि कबूतरों की सूखी बीट इतनी खतरनाक क्यों है।
वैसे तो कबूतरों की बीट दिखने में सामान्य लगती है, लेकिन इसमें कई खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस हो सकते हैं। इनमें क्रिप्टोकोकस, क्लैमाइडिया सिटासी और हिस्टोप्लास्मोसिस जैसे जीव शामिल हैं। जब यह सूखी बीट हवा में उड़ती है, तो इसमें मौजूद छोटे-छोटे फंगल स्पोर्स के सांस के जरिए हमारी बॉडी में जा सकते हैं। जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
कबूतरों की बीट में कई हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं और जब यह सूखकर धूल या फिर पानी से मिलती है और सांस के जरिए शरीर में जाती है। तो दिमाग की झिल्ली में सूजन, फेफड़ों में सूजन या सिटाकोसिस नामक बीमारियां हो सकती हैं। सिटाकोसिस फ्लू जैसी बीमारी हो सकती है। इससे सिरदर्द, तेज बुखार और सांस लेने में परेशानी होती है। कबूतर की बीट में साल्मोनेला बैक्टीरिया भी हो सकता है, जोकि पेट से जुड़ी समस्याओं की वजह हो सकती है।
इसका खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इनमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग, अस्थमा या फिर फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोग शामिल हैं।
साल 2021 की एक रिसर्च में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक कबूतरों की बीट या फिर पंखों के संपर्क में रहते हैं, जैसे सफाईकर्मी या पक्षियों की देखभाल करते हैं, उनको सांस संबंधी बीमारियों का खतरा अन्य लोगों से 3 से 5 गुना ज्यादा होता है।
अगर आप नहीं चाहते हैं कि कबूतर आपकी बालकनी या खिड़की पर बैठें या घोंसला बनाएं। तो इसके लिए कुछ आसान और असरदार उपाय आजमा सकते हैं। इसके लिए इस स्थान को साफ-सुथरा और सूखा रखें। क्योंकि आमतौर पर गंदगी और नमी वाली जगहों को कबूतर पसंद करते हैं।
कबूतरों की सूखी बीट में कुछ सूक्ष्म कण पाए जाते हैं, जोकि सांस के रास्ते में हमारी बॉडी में जा सकते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सफाई करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
चेहरे पर मास्क जरूर पहनें, जिससे कि सूखी धूल सांस में न जाए।
दस्ताने जरूर पहनें, जिससे की सीधे बीट हाथ से न लगे।
फुल आस्तीन वाले कपड़े पहनें, जिससे कि हाथ और स्किन भी सुरक्षित रहे।
सफाई के बाद हाथों को अच्छे से धोएं और सैनिटाइज करें।
सूखी बीट को झाड़ने की बजाय डिसइन्फेक्टेंट स्प्रे या गीले कपड़े से साफ करें, जिससे कि धूल न उड़े।
साफ की गई गंदगी को खुले में फेंके।
कबूतरों की बीट से जो बीमारियां होती हैं, तो उनका इलाज बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। इसलिए डॉक्टर सबसे पहले बीमारी की पहचान करते हैं, इसके बाद में एंटी फंगल या एंटी बायोटिक्स दवाइयां दी जाती हैं। जोकि फंगस और बैक्टीरिया को खत्म करती हैं।