PM मोदी ने आखिरी ब्रिटिश कमांडर का किया जिक्र, बोले- विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए

By अनुराग गुप्ता | Feb 10, 2021

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए रात 12-12 बजे तक सदन की कार्यवाही चलाने के लिए सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही। 

इसे भी पढ़ें: राज्यसभा में बोले संतोष गंगवार, लौट रहे हैं प्रवासी मजदूर, मिल रहा है काम 

उन्होंने कहा कि देश जब आजाद हुआ और जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे जब वो यहां से गए तब वह यही कहा करते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कभी नहीं बना सकता है। लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं। आज विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग ये कहते थे कि भारत एक चमत्कारिक लोकतंत्र था (India was a miracle democracy)। ये भ्रम भी हमने तोड़ा है। लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है। 

इसे भी पढ़ें: प्रधानमंत्री, भावपूर्ण प्रधानमंत्री, सहृदय प्रधानमंत्री, भावप्रधान प्रधानमंत्री जैसे विशेषणों के चौराहे पर मूर्धन्य की तरह विराजमान मोदी 

उन्होंने कहा कि आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात का स्मरण करना चाहूंगा। "हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया... कोरोना काल में भारत ने इसको करके दिखाया है और भारत ने एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में जिस प्रकार से एक के बाद एक कदम उठाए हैं। लेकिन हम उन दिनों को याद करें, जब दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ था, दो विश्व युद्ध ने दुनिया को झगझोर दिया था। मानवजात, मानवमूल्य संकट के घेरे में थे। निराशा छाई हुई थी। 

इसे भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में किसानों और आदिवासियों के कल्याण के लिए ममता ने कुछ नहीं किया: नड्डा 

उन्होंने कहा कि शांति के मार्ग पर चलने के शपथ लिए गए। सैन्य नहीं सहयोग, इस मंत्र को लेकर के दुनिया के अंदर विचार प्रबल होते गए। यूएन का निर्माण हुआ, इंस्टीट्यूशन्स बने, भांति-भांति के मैकेनिजम तैयार हुए। ताकि दुनिया को विश्वयुद्ध के बाद एक सुचारू ढंग से शांति की दिशा की तरफ ले जाएं। लेकिन अनुभव कुछ और हुआ। दुनिया में शांति की बात हर कोई करने लगा। अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने लगा।

सुनिए प्रधानमंत्री का भाषण:-  

प्रमुख खबरें

Hardik Pandya की 59 रन की तूफानी पारी से भारत 1-0 से आगे, कटक टी20 में अफ्रीका 74 पर ढेर

Pat Cummins की एशेज़ में वापसी तय, ऑस्ट्रेलिया एडिलेड टेस्ट से पहले मज़बूत स्थिति में

दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में स्थान, वैश्विक पहचान हुई और मजबूत

दिल्ली में खुली जलाने और तंदूर में कोयला उपयोग पर सख्त प्रतिबंध, AQI अब भी ‘poor’ श्रेणी में