आ रहा शरद (कविता)

By डॉ एम डी सिंह | Oct 29, 2021

दिवाली के साथ ही शरद ऋतु की शुरूआत हो गयी है। लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिल गई है। कवि ने इस कविता के माध्यम शरद ऋतु का बहुत सुंदर वर्णन किया है। कवि ने यह भी बताया है शरद ऋतु के आने से रेनकोट और छाते से निजात मिली है।


बैठ गई धूप आकर पीपल की छांव में

आ रही है ठंड बैठ बादलों की नाव में


शीश पर पर्वतों के बाल श्वेत उगने लगे

चुभने को है बर्फ अब हवाओं के पांव में


दीप ले घर-घर में आने को दीपावली

आया समय पंख लिए चीटियों के गांव में 


खूब बरखा ने तो मनचाहा खेल खेला

आखिर वह उलझ ही गई शरद के दांव में


रेनकोट-छाते अपने-अपने देश गए

तैयार हैं स्वेटर-मुफलर अपने ठांव में!


- डॉ एम डी सिंह

महाराजगंज गाजीपुर उत्तर प्रदेश

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