इनकी मर्ज़ी, उनकी मर्ज़ी (कविता)

By प्रतिभा तिवारी | Sep 04, 2019

कवियत्री ने कविता में स्वयं पर विश्वास करो और अपनी क्षमता को खुद पहचानो पर जोर दिया है। कवियत्री प्रतिभा तिवारी ने कविता में बताया है कि दूसरा क्या सोचेगा इस बात की चिंता मत करो। आप जो अच्छा लगे वह कार्य करो।

 

इनकी मर्ज़ी, उनकी मर्ज़ी 

अब देखो तुम खुद की मर्ज़ी 

अब बहुत हुआ ताना बाना 

सोचा सोचेगा कोई क्या 

वो कौन, कभी ना पहचाना 

सुनो और समझो खुद की 

अरे..वो तो है एक अनजाना 

कोई और क्यों कैसे समझेगा 

किसके दिल में क्या अफसाना

 

- प्रतिभा तिवारी

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