By अभिनय आकाश | Nov 15, 2025
राजस्थान में गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले सात पुलिस अधिकारियों पर हत्या का केस नहीं चलेगा। जोधपुर के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में फैसला सुनाते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाई थी। कोर्ट के इस फैसले से अब चूरू के तत्कालीन एसपी राहुल बारहट समेत तीन अधिकारियों और चार पुलिसकर्मियों को राहत मिली है। इससे पहले कोर्ट ने इन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसी आदेश के खिलाफ इन पुलिस अधिकारियों ने सेशन कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दायर की थी।
जोधपुर की जिला एवं सत्र अदालत ने चूरू के पूर्व पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों को राहत देते हुए, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ हत्या के आरोप लगाने के निचली अदालत के निर्देश को पलट दिया है। इस फैसले ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई मामले) अदालत के जुलाई 2024 के आदेश को उलट दिया, जिसमें निर्देश दिया गया था कि 2017 की मुठभेड़ में शामिल अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोप लगाए जाए। सिंह 24 जून 2017 को चूरू जिले के मालासर गांव में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उसकी मौत के बाद, उसकी पत्नी राज कंवर सहित उसके परिवार ने आरोप लगाया कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी और सीबीआई जांच की मांग की थी।
अशोक शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस टीम 41 गंभीर मामलों में वांटेड गैंगस्टर आनंदपाल को गिरफ्तार करने के लिए अपनी ड्यूटी का पालन कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब आनंदपाल ने अपनी AK-47 राइफल से लगातार गोलीबारी की और पुलिस टीम के सदस्यों को घायल कर दिया तब पुलिस ने अपनी जान बचाने के लिए जवाबी फायरिंग की। इसे उनके आधिकारिक कर्तव्य के दायरे में ही माना जाएगा। ऐसे में पुलिस अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए। सुनवाई के दौरान डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज अजय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के ओम प्रकाश बनाम झारखंड राज्य के फैसले का जिक्र करते हुए कहा यदि कर्तव्य का निर्वहन करते समय कुछ अतिक्रमण या सीमा उल्लंघन की स्थिति उत्पन्न होती है तो भी पुलिस अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए। बशर्ते उस कार्य और आधिकारिक कर्तव्य के बीच उचित और वैध संबंध हो। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि आनंदपाल मामले में पुलिस अधिकारी अपना कर्तव्य निभा रहे थे। इसलिए उन्हें सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मृतक का भाई, जिसने खुद को गवाह बताया, उसने जांच के दौरान कभी खुद को चश्मदीद नहीं माना, बल्कि लगभग 6 साल बाद उसने पुलिस पर आरोप लगाए। ये आरोप किसी भी सबूत से साबित नहीं हुए, बल्कि सीबीआई की वैज्ञानिक जांच ने इन्हें गलत साबित कर दिया। कोर्ट ने इस बात को भी स्वीकारा कि जब एनकाउंटर में दोनों तरफ से फायरिंग हुई थी, तो केवल पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाना तथ्यों के हिसाब से गलत था।
आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में दोषी मानते हुए इन सात पुलिस अधिकारियों पर हत्या का केस चलाने को कहा गया था। हालांकि जोधपुर की जिला अदालत के फैसले पर आनंदपाल की पत्नी राज कंवर के वकील भवर सिंह ने कहा कि हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।