The kashmir files पर शुरू हुई राजनीति, केरल कांग्रेस ने भाजपा पर लगाए कई बड़े आरोप

By अंकित सिंह | Mar 13, 2022

कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार एवं पलायन पर आधारित फिल्म द कश्मीर फाइल्स दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। इस फिल्म को कई भाजपा शासित राज्यों ने टैक्स फ्री भी कर दिया है। इस फिल्म को हिंदुत्व से जोड़कर भी देखा जा रहा है। फिल्म को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। इस फिल्म के आने के बाद से कांग्रेस की भी आलोचना हो रही है। इन सबके बीच केरल कांग्रेस  की ओर से भाजपा पर कई बड़े आरोप लगाए गए हैं।  केरल कांग्रेस की ओर से कई सारे ट्वीट किए गए। केरल कांग्रेस का दावा है कि आतंकियों ने ही पंडितों को निशाना बनाया था। 17 साल (1990-2007) में 399 पंडित आतंकवादी हमलों में मारे गए थे। इसी अवधि में आतंकवादियों द्वारा मारे गए मुसलमानों की संख्या 15,000 थी। ट्वीट में दावा किया गया कि पंडितों ने राज्यपाल जगमोहन के निर्देशन में घाटी को सामूहिक रूप से छोड़ दिया, जो आरएसएस के एक व्यक्ति थे। पलायन भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार के तहत शुरू हुआ था।

दावा किया गया है कि पलायन के दौरान अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा देश में हिंदू-मुस्लिम विभाजन की योजना बना रही थी। पंडितों का मुद्दा चुनावी लाभ के लिए नकली आक्रोश पैदा करने के लिए भाजपा के प्रचार के अनुकूल था। ट्वीट में लिखा गया कि भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। अगले ही महीने जनवरी 1990 में पंडितों का पलायन शुरू हो गया। बीजेपी ने कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह का समर्थन करती रही। केरल कांग्रेस का दावा किया कि यूपीए सरकार ने जम्मू में पंडितों के लिए 5,242 आवास बनाए और छात्र छात्रवृत्ति, किसानों को सहायता और 1,168.4 करोड़ रुपये की कल्याणकारी योजनाओं के अलावा प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की एकमुश्त सहायता प्रदान की। इसके साथ ही केरल कांग्रेस ने #Kashmir_Files vs Truth हैशटैग दिया है। केरल कांग्रेस ने लिखा कि यहां तक ​​कि 1948 के विभाजन के बाद के सांप्रदायिक दंगों में, जम्मू में 1,00,000 से अधिक कश्मीरी मुसलमान मारे गए थे, लेकिन पंडितों की कोई जवाबी हत्या नहीं हुई थी। अन्य कश्मीरियों की तरह पंडित भी आतंकवाद के शिकार हैं। केरल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंडितों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा ने केंद्र में दो कार्यकाल और कश्मीर में एक कार्यकाल के लिए सत्ता में रहने के बावजूद उन्हें वापस कश्मीर नहीं लाया और न ही उनका पुनर्वास किया। भाजपा ने विस्थापित पंडित परिवारों को सरकारी समर्थन के बारे में झूठ बोला और कांग्रेस सरकार की पहल के लिए श्रेय का दावा किया। यूपीए सरकार ने 15,000 पंडितों को नौकरी दी और जम्मू-कश्मीर सरकार में 6,000 पंडितों की भर्ती की।

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