Purple Day of Epilepsy 2025: हर साल 26 मार्च को मनाया जाता है पर्पल एपिलेप्सी डे, जानिए इतिहास और महत्व

By अनन्या मिश्रा | Mar 26, 2025

हर साल 26 मार्च को पर्पल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य मिर्गी के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। वहीं न्यूरोलॉजिकल विकार से पीड़ित लोगों की मदद करता है। पर्पल एपिलेप्सी डे के मौके पर लोगों को बैंगनी रंग पहनने, जानकारी साझा करने और मिर्गी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। मिर्गी एक ऐसी स्थिति है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है।


क्या है मिर्गी

बता दें कि मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जोकि भारत के लाखों लोगों को प्रभावित करती है। जिसकी वजह से बार-बार बिना किसी वजह के दौरे पड़ते हैं। दौरे तब पड़ते हैं, जब मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि में अचानक वृद्धि होती है। हालांकि यह दौरे गंभीरता में भिन्न हो सकते हैं। वहीं मिर्गी विभिन्न कारकों से शुरू हो सकती है, जिसमें मस्तिष्क की चोट, संक्रमण, आनुवंशिकी या अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं।


इतिहास

इस बीमारी के लिए पर्पल डे का इतिहास काफी पुराना है। दरअसल साल 2008 में 9 साल की कैसिडी मेगन ने इस दिन की शुरूआत की थी। इस दौरान वह इस बीमारी से जूझ रही थी। जिस वजह से वह लोगों को मिर्गी के प्रति जागरुक करना चाहती थी। इसलिए कैसिडी मेगन ने इस अभियान की शुरूआत की थी। इस तरह से 26 मार्च 2008 को पहली बार पर्पल डे मनाया गया था। इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य मिर्गी बीमारी के प्रति समर्थन से जुड़ा है। इस कार्यक्रम के समर्थन में बैंगनी रंग के कपड़े पहनने और कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कहा जाता है। इस वजह से इसको Purple Day of Epilepsy कहा जाता है।


मिर्गी के कारण

मस्तिष्क की चोट

अनुवांशिक

स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर

संक्रामक रोग

ऑक्सीजन की कमी

अत्यधिक शराब या ड्रग्स का सेवन

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