राहुल ने फिर दी PM को सीधी बहस की चुनौती, रक्षा मंत्री के बयान को बताया झूठा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 07, 2019

नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को मिले अनुबंध के संदर्भ में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर ‘झूठ बोलने’ का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल मामले पर 15 मिनट की सीधी बहस की चुनौती देते हुए दावा किया कि मोदी लोकसभा में आने से डर रहे हैं। उन्होंने सरकार पर एचएएल को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए यह सवाल फिर दोहराया कि क्या रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने विमान सौदे में प्रधानमंत्री के दखल पर आपत्ति जताई थी? गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि रक्षा मंत्री ने ढाई घंटे का भाषण दिया। संसद में कहा था कि एक लाख करोड़ रुपये का अनुबंध एचएएल को मिला है। हमने उनकी बात को चुनौती दी। आज उन्होंने कहा कि एचएएल को 26570 करोड़ रुपये का अनुबंध मिला है। इसका मतलब साफ है कि निर्मला सीतारमण जी ने सदन में झूठ बोला है।

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उन्होंने कहा कि मेरा फिर से सवाल है कि जब नरेंद्र मोदी ने राफेल विमान खरीद के लिए नया सौदा किया था तो क्या रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के दखल पर आपत्ति जताई थी या नहीं? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘हम सीतारमण जी और मोदी जी से पूछना चाहते हैं कि जब आपने 126 विमान की खरीद वाला सौदा बदला तो वायुसेना एवं रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने आपके दखल पर आपत्ति जताई थी? हां या ना?’ गांधी ने कहा कि अभी तक दसाल्ट ने एक भी विमान की आपूर्ति नहीं की है, लेकिन सरकार ने उसे 20 हजार करोड़ रुपये दिए। एचएएल ने विमान, हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति कर दी है, लेकिन उसके 15,700 करोड़ रुपये के बकाये की आपूर्ति नहीं जा रही है।

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गांधी ने कहा, ‘सीतारमण जी को मोदी जी का प्रवक्ता कहना चाहिए। उन्होंने ढाई घंटे के भाषण में यह नहीं बताया कि अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये क्यों दिया गया?’ उन्होंने कहा, ‘देश के चौकीदार डरे हुए हैं। वह लोकसभा में आने से डरे हुए हैं। मोदी के साथ मेरी 15 मिनट की बहस कराइए। पूरे देश को पता चल जाएगा कि क्या हुआ है। वह नहीं आएंगे क्योंकि चौकीदार ने ही चोरी कराई है।’ गौरतलब है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 2014 से 2018 के दौरान 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 73 हजार करोड़ रुपये रुपये के अनुबंध पाइपलाइन में हैं, इसलिए लोकसभा में दिए उनके वक्तव्य पर संदेह खड़े करना ‘गलत और गुमराह’ करने वाली बात है।

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