यात्री कृपया ध्यान दें! बुलेट ट्रेन परियोजना एक वर्ष की देरी से चल रही है

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 01, 2018

अहमदाबाद। रेलवे, अगस्त 2022 तक बुलेट रेल के 50 किलोमीटर के छोटे खंड को चालू करने पर विचार कर रहा है। पहले इसे इस अवधि में पूरे 508 किलोमीटर के मार्ग को चालू करने का लक्ष्य रखा गया था। सूत्रों ने बताया कि बुलेट ट्रेन परियोजना कार्यक्रम से पीछे चल रही है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के सूत्रों ने बताया कि भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2022 तक अगर काम पूरा नहीं हो पाता है तो गुजरात में सूरत से बिलिमोरा तक के एक छोटे खंड का परिचालन शुरू किया जा सकता है।

 

सूत्रों ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए "व्यावहारिक समय सीमा" 2023 हो सकती है। एनएचएसआरसीएल के सूत्रों ने बताया, "बुलेट ट्रेन परियोजना के निष्पादन में बाधा केवल भूमि अधिग्रहण तक ही सीमित नहीं है। इसमें कई प्रक्रियाएं शामिल हैं और कई विस्तृत योजनाएं हैं, जो अभी भी चल रही हैं। सूत्र ने बताया, "हमारे आकलन के अनुसार, परियोजना पूरा होने में एक वर्ष की देर हो सकती है। पूरे 508 किलोमीटर के इस मार्ग को 2023 के अंत तक चालू किया जा सकता है।" 

 

पूरे हाई स्पीड रेल गलियारे में 1,434 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी जिसमें महाराष्ट्र में 353 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी। बाकी जमीन गुजरात में होगी। इसे गुजरात के 19 गांवों और महाराष्ट्र के 104 गांवों में 7,000 भूखंडों में बांटा गया है। इस परियोजना में महाराष्ट्र के तीन जिलों और गुजरात में आठ जिलों के अलावा दादरा और नागर हवेली के एक छोटे से क्षेत्र को लिया गया है। हालांकि, अब तक बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में केवल 0.9 हेक्टेयर जमीन का भौतिक हस्तांतरण हो सका है।

 

एक अन्य स्रोत ने कहा, ''यह एक ऐसा खंड है जो समय सीमा पर पूरा होगा। इसके अलावा, यह एक प्रोटोटाइप के रूप में कार्य कर सकता है, जो हमें उच्च स्पीड ऑपरेशन में शामिल प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने में मदद करेगा।" इस परियोजना में भारतीय रेलवे नेटवर्क के मौजूदा स्टेशन के ऊपर वडोदरा स्टेशन का निर्माण शामिल है। एक 220 मीटर गर्डर (जो स्वयं एक इंजीनियरिंग चुनौती होगी) का निर्माण इस स्टेशन परियोजना का हिस्सा होगा। इस परियोजना की कई चुनौतियों का वर्णन करते हुए सूत्र ने कहा, "यह गर्डर ही मात्र वर्ष 2022 के अंत में ही पूरा होने की संभावना है।" 

 

सूत्रों ने कहा कि पालघर (महाराष्ट्र) और नवसारी (गुजरात) के किसानों के प्रतिरोध का हवाला देते हुए कहा कि एनएचएसआरसीएल जापान से 80 फीसदी ऋण के साथ 1.08 लाख करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने की दिसंबर 2018 की समय सीमा पर खरा नहीं उतरेगा।

 

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