सिद्धार्थ से भगवान गौतम बुद्ध की बनने की कहानी आपका भी दिल जीत लेगी

By कमल सिंघी | May 05, 2020

7 मई को भगवान गौतम बुद्ध की जयंती है। भगवान गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं और हिंदू धर्म में इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से करीब 563 साल पूर्व हुआ था। 

 

इसे भी पढ़ें: बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का संपूर्ण जीवन प्रेरक गाथाओं से परिपूर्ण

नेपाल के तराई इलाके में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नाम की जगह पर लुम्बिनी नाम के वन में जन्म हुआ था। भगवान गौतम बुद्ध का बचपन में सिद्धार्थ नाम रखा था। पिता शुद्धोधन थे। भगवान गौतम बुद्ध के जन्म के सात दिनों बाद मां का निधन हो गया था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया। गुरु विश्वामित्र से वेद और उपनिषद् पढ़े। राजकाज और युद्ध विद्या भी ग्रहण की। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में भगवान गौतम बुद्ध की कोई बराबरी नही कर सकता था। शाक्य वंश में जन्मे सिद्धार्थ का 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए पूरे भोग-विलास की व्यवस्था की। तीनों मौसम के लिए तीन सुंदर महल बनवाए लेकिन सारी मोह माया भी उन्हें नहीं रोक पाई। सिद्धार्थ ने एक दिन संन्यासले लिया और फिर वे भगवान गौतम बुद्ध कहलाए।

 

इसे भी पढ़ें: बचपन से ही सांसारिक सुखों से विमुख थे गौतम बुद्ध

मारने वाले से बचाने वाला ही बड़ा होता है

भगवान गौतम बुद्ध बचपन में सिद्धार्थ थे, उनके मन में बचपन से ही करुणा भरी हुई थी। ऐसे कई किस्से हैं, जब वे अपने आसपास हिंसा नहीं होने देते थे। घुड़दौड़ में जब घोड़े तेज दौड़ते थे और उनके मुंह से झाग निकले तो सिद्धार्थ ने जीती बाजी हार ली और घोड़े को पानी पिलाने की व्यवस्था की। वे किसी को दुखी नहीं देख सकते थे, फिर भले ही उन्हें हार जाना पड़े। एक बार उन्हें जंगल में तीर से घायल हुआ हंस मिला, उसे उठाकर उन्होंने तीर निकाल और पानी पिलाया। इलाज करवाया। उसी दौरान सिद्धार्थ के चचेरे भाई देवदत्त आए और बोले, यह मेरा शिकार है। सिद्धार्थ ने देने से मना कर दिया। विवाद राजा शुद्धोधन के पास पहुंचा। राजा शुद्धोधन ने देने के लिए कहा लेकिन सिद्धार्थ ने मना कर कहा कि बेकसूर हंस पर तीर चलाने का अधिकार नहीं था। मैंने तीर निकाल कर इसकी सेवा की और प्राण बचाए, इस पर हक तो मेरा है। राजा ने इसकी जांच कराई और कहा कि मारने वाले से बचाने वाला ही बड़ा होता है। फैसला सुनाया कि इस पर सिद्धार्थ का हक है। 

 

इसे भी पढ़ें: बौद्ध धर्म के अनुयायी पूरी दुनिया में इस तरह मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा पर्व

भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल वचन 

- इंसान को शक करने की आदत बहुत खतरनाक होती है। शक के कारण लोग अलग हो जाते हैं। यह आदत पति-पत्नी का रिश्ता, दो दोस्तों की दोस्ती और दो प्रेमियों का प्रेम बर्बाद कर सकती है। इससे सभी को बचना चाहिए। 

- हम किसी भी बात पर जैसे ही गुस्सा होते हैं। हम सच का रास्ता छोड़कर अपने लिए कोशिश करने लग जाते हैं। गुस्से से इंसान स्वार्थी हो जाता है। केवल अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं। हमेशा गुस्से से बचना चाहिए। 

- बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उससे ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके। 

- स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

- जैसे मोमबत्ती के बगैर आग नहीं जल सकती वैसे ही इंसान भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।

- तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती सूर्य, चंद्रमा और सत्य।


- कमल सिंघी


प्रमुख खबरें

Shah ने BJP और उसके छद्म सहयोगियों को नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराने का निर्देश दिया: Omar

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने में Congress अव्वल : Chief Minister Mohan Yadav

Manoj Tiwari ने मुझ पर हमला कराया क्योंकि लोग अब उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं: Kanhaiya

Shakti Yojana से Metro को नुकसान होने संबंधी प्रधानमंत्री की टिप्पणी से हैरान हूं: Shivkumar