By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 22, 2016
सरकार 2011 के जिंस पैकेजिंग नियमों में संशोधन की योजना बना रही है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का पूरा ब्योरा स्पष्ट और पढ़ने लायक हो। साथ ही सरकार नकली सामानों से ग्राहकों के हितों के संरक्षण के लिये बारकोड जैसी प्रणाली शामिल करना चाहती है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ग्राहकों के हित में विधिक माप विज्ञान (डिब्बाबंद वस्तुएं), नियम 2011 में संशोधन के लिये कई दौर की चर्चा की है। उद्योग तथा लोगों ने नियमों में बदलाव की मांग की है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘नियम-7 उत्पाद के ब्योरे के संदर्भ में शब्दों के आकार को बताता है लेकिन अधिकतर कंपनियां इसका कड़ाई से पालन नहीं करती। छोटे पैकेट में फोंट का आकार इतना छोटा होता है कि ग्राहकों के लिये उसे पढ़ना मुश्किल होता है। इसीलिए हमने फोंट के आकार के बारे में अमेरिकी मानक को अपनाने का फैसला किया है।’’ उसने कहा कि फिलहाल नाम, पता, विनिर्माण तिथि, खुदरा मूल्य जैसी घोषणाओं के लिये फोंट आकार एक एमएम से कम है। अमेरिका 1.6 एमएम के आकार का पालन करता है। लेकिन हम 200 ग्रामः एमएल के लिये 1.5 एमएम रखने की योजना बना रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि 200 ग्राम (एमएल से 500 ग्राम) एमएल तक के डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों पर फोंट आकार दो से बढ़ाकर चार एमएम तथा 500 ग्राम: एमएल से ऊपर के डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों के लिये फोंट आकार दोगुना आठ एमएम करने का विचार है।
इसके अलावा, मंत्रालय बार-कोड या इस प्रकार के चिन्ह पेश करने की योजना बना रहा है ताकि यह चिन्हित हो सके कि खाद्य उत्पाद भारत या अन्य देश में बने हैं और नकली नहीं है। साथ ही मंत्रालय डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की अधिकतम मात्रा मौजूदा 25 किलो (लीटर से बढ़ाकर 50 किलो) लीटर करने पर विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘‘छोटे पैकों के लिये उपभोक्ताओं को अधिक देना पड़ता है। इसीलिए हमने कहा है चावल, आटा जैसे अन्य सामान 50 किलो लीटर के पैकेट में आएंगे। इससे ग्राहकों के लिये लागत कम होगी।’’ इससे पहले, मंत्रालय ने 2015 में नियम संशोधित किये थे।