By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 19, 2016
सरकार ने ब्रिटिश तेल कंपनी केयर्न एनर्जी द्वारा पूर्व की तिथि से 29,047 करोड़ रुपये की कर मांग को लेकर शुरू की गयी मध्यस्थता प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। सरकार चाहती है कि वेदांता रिसोर्सेज ने जो मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है, उस पर पहले सुनवाई हो। सरकार ने पूर्व की तिथि से कर कानून का उपयोग करते हुए जनवरी 2014 में केयर्न एनर्जी को 10 साल पुराने अपनी भारतीय इकाई के आंतरिक पुनर्गठन के मामले में कर नोटिस दिया था। तीन महीने बाद अप्रैल 2014 में उसने केयर्न इंडिया से पूंजी लाभ पर कर कटौती में विफल रहने को लेकर 20,495 करोड़ रुपये की कर मांग की। केयर्न इंडिया ब्रिटेन की कंपनी की भारतीय अनुषंगी थी।
केयर्न एनर्जी और वेदांता ने कर मांगों को लेकर अलग-अलग पंच निर्णय प्रक्रिया शुरू की है। वेदांता ने 2011 में स्काटलैंड की कंपनी से केयर्न इंडिया को खरीदा था। सूत्रों ने कहा कि केयर्न एनर्जी ने मार्च 2015 में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की थी और तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया गया था। लेकिन इस महीने की शुरूआत में सुनवाई के दौरान सरकार ने दलील दी कि सुनवाई को फिलहाल रोका जाना चाहिए। उसके वकील ने दलील दी कि सरकार चाहती है कि वेदांता द्वारा शुरू मध्यस्थता प्रक्रिया को पहले निपटाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार अधिवक्ता ने केयर्न एनर्जी की 5.6 अरब डालर की मांग के बारे में जवाब देने के लिये और समय देने का अनुरोध किया। केयर्न एनर्जी ने पूर्व की तिथि से कर मांग को लेकर भारत सरकार से बतौर मुआवजा यह राशि मांगी है। मामले में जवाब नवंबर में मध्य में दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि वेदांता मध्यस्थता मामले में सरकार यह दलील दे सकती है कि कर मुद्दों को द्विपक्षीय संरक्षण संधि के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया में नहीं लाया जा सकता है और अगर उसे अनुकूल फैसला मिलता है तो वह उसका उपयोग केयर्न एनर्जी के मामले में भी करेगी। जिनेवा स्थित मध्यस्थ लौरेंट लेवी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने कर मांग मामले में मई में सुनवाई शुरू की और कंपनी ने जून में अपना दावा किया। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार को नवंबर के मध्य में अपनी दलील रखनी है और साक्ष्यों पर सुनवाई 2017 की शुरूआत में होने की संभावना है। लेकिन सरकार की तरफ से अपील से पूरी प्रक्रिया में देरी होगी।