Sam Manekshaw Birth Anniversary: पाकिस्तान को नासूर की तरह चुभता है सैम मानेकशॉ का नाम, पिता से बगावत कर सेना में हुए थे शामिल

By अनन्या मिश्रा | Apr 03, 2024

आज ही के दिन यानी की 03 अप्रैल को सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। वह भारतीय सेना के पहले 5 स्टार जनरल और ऑफिसर थे। जिनको फील्ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था। वह अपने 4 दशक के सैन्य करियर में 5 युद्धों में शामिल रहे। वह भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। नया मुल्क बांग्लादेश बनाने के पूरा श्रेय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को जाता है। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सैम मानेकशॉ के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।


जन्म और शिक्षा

भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का जन्म 03 अप्रैल 1914 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा अमृतसर और शेरवुड कॉलेज नैनीताल से पूरी की थी। आपको बता दें वह भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले 40 कैडेटों के पहले बैच के थे। वहीं 04 फरवरी 1934 को उन्हें 12 एफएफ राइफल्स में कमीशन किया गया था। उनका पूरा नाम होरमुजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। लेकिन उनकी फैमिली, दोस्त, पत्नी, अफसर या मातहत उनको सैम या फिर सैम बहादुर कहते थे।

इसे भी पढ़ें: Dr. Keshav Baliram Hedgewar Birth Anniversary: आरएसएस की स्थापना के अलावा महान क्रांतिकारी थे डॉ केशव हेडगेवार, अपने तरीके से लड़ी थी आजादी की लड़ाई

ऐसे हुए थे फौज में शामिल

सैम मानेकशॉ बचपन से निडर और बहादुर थे। वह अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहते थे और डॉक्टर की पढ़ाई के लिए लंदन जाना चाहते थे। क्योंकि मानकेशॉ के दो भाई पहले से लंदन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन उनके पिता ने सैम को लंदन जाने के लिए यह कहते हुए मना कर दिया कि वह अभी बहुत छोटे हैं। इस बात से गुस्सा होकर उन्होंने इंडियन मिलिट्री में शामिल होने के लिए फॉर्म भरा और वह इसके लिए सेलेक्ट भी हो गए।


जब पीएम इंदिरा को कहा 'स्वीटी'

देश की तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब साल 1971 में सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल पूछा। तो इसके जवाब में मानेकशॉ ने पीएम इंदिरा को जवाब देते हुए कहा, 'आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी।' सैम द्वारा पीएम इंदिरा को कही गई यह बात काफी ज्यादा फेमस हुई थी।


इंदिरा गांधी का विरोध

बता दें कि साल 1971 की लड़ाई में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी चाहती थीं कि मानेकशॉ मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। क्योंकि भारतीय सेना मार्च में हमले के लिए तैयार नहीं थी। सैम के मना करने पर पीएम इंदिरा कापी नाराज हुई थीं। तब मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी से पूछा की यदि आप पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जीतना चाहती हैं, तो 6 महीने का समय दें। सैम मानेकशॉ ने गारंटी दी कि जीत भारतीय सेना की होगी।


जिसके बाद 03 दिसंबर को पाकिस्तान से युद्ध शुरू हुआ। पहले सैम ने पाकिस्तानी सेना को सरेंडर करने को कहा, लेकिन जब पाकिस्तान ने बात नहीं मानी तब भारतीय सेना ने 14 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तार के गवर्नर के घर पर हमला कर दिया। जिसके बाद 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर 'बांग्लादेश' बन गया। वहीं इस युद्ध में 93 हजार पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।


मृत्यु

साल 1973 में सेना प्रमुख पद से रिटायरमेंट के बाद सैम मानेकशॉ तमिलनाडु के वेलिंग्टन चले गए थे। वहीं वेलिंग्टन में 27 जून 2008 को 94 साल की उम्र में सैम मानेकशॉ का निधन हो गया था।

प्रमुख खबरें

SRH vs LSG: लखनऊ के खिलाफ सनराइजर्स हैदराबाद ने 58 गेंदों में चेज किया 166 रनों का टारगेट, ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा की बेहतरीन पारी

Aurangabad और Osmanabad का नाम बदलने पर अदालत के फैसले का मुख्यमंत्री Shinde ने किया स्वागत

तीन साल में पहली बार घरेलू प्रतियोगिता में भाग लेंगे Neeraj Chopra, Bhubaneswar में होगा आयोजन

Israel ने Gaza में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक अहम क्रॉसिंग को फिर से खोला