By अंकित सिंह | Aug 31, 2020
समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए सख्त नियम वाले दिशा निर्देश जारी कर दिए है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कार्यकर्ताओं को मनमानी करने से रोका जा सके। इसके अलावा इस दिशा निर्देश का उद्देश्य कार्यकर्ताओं में अनुशासन लाना भी है। नए दिशानिर्देश में कार्यकर्ताओं की जवाबदेही भी तय की गई है। माना जा रहा है कि यह कदम संगठन में एकजुटता को दिखाने और गुटबाजी को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। यह भी माना जा रहा है कि इससे दिशानिर्देश का कारण पार्टी के अंदर बढ़ रही गुटबाजी है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से पार्टी आलाकमान के पास कई शिकायतें पहुंच रही थी जिसमें कहा जा रहा था कि सरकार के खिलाफ पार्टी की दिशा निर्देशों को कार्यकर्ता मनमाने तरीके से मान रहे है।
यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के ही कुछ नेता सरकार के खिलाफ घोषित आंदोलन में लाल टोपी लगाकर अलग-अलग जगह प्रदर्शन कर रहे है। इस कारण अखिलेश यादव काफी नाराज भी थे। यही कारण है कि कार्यकर्ताओं पर अब सख्ति लगाने की कोशिश की जा रही है। अलग-अलग प्रदर्शनों से पार्टी की एकजुटता के कम होने और गुटबाजी के बढ़ने का संदेश जाता है। पार्टी ने साफ तौर पर कह दिया है कि केवल लाल टोपी लगाकर और खुद को सपाई बताकर अपनी मर्जी से कोई भी आंदोलन नहीं कर सकता, धरना प्रदर्शन नहीं कर सकता। उसे हर हाल में पार्टी के आदेश मानने पड़ेंगे और उसे किसी भी प्रदर्शन के लिए पार्टी से इजाजत लेनी होगी।
दिशा निर्देश में यह तय किया गया है कि किसी भी आंदोलन या प्रदर्शन की जानकारी जिला संगठन को हाईकमान से ही मिलेगी। जिला संगठन इस प्रदर्शन को लेकर रूपरेखा तय करेगा। उसी रूपरेखा के अनुसार ही प्रदर्शन करने होंगे। अगर कोई भी उस दिशा निर्देश को तोड़ता है तो उसे अनुशासनहीनता माना जाएगा और उसे कार्रवाई के लिए भी तैयार रहना होगा। हालांकि कुछ नेता दबे मन से ही यह भी जरूर मान रहे है कि फिलहाल यह दिशानिर्देश मौखिक तौर पर ही मिले है। लिखित पत्र का इंतजार है। समाजवादी पार्टी अपने तमाम कार्यकर्ताओं को यह सख्त संदेश दे रही है कि अगर 2022 का चुनाव जीतना है और बीजेपी को पछाड़ना है तो उसके लिए एकजुट रहना जरूरी है। एकजुटता तब आएगी जब कार्यकर्ता अनुशासन में रहेंगे।
पार्टी ने एक और बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव जिला स्तर पर देखने को मिल सकेगा। कहा जा रहा है कि नई व्यवस्था के तहत जिला स्तर पर होने वाली बैठकों में अब सिर्फ वही लोग शामिल होंगे जिन्हें पार्टी ने कोई पद दिया है यानी कि बैठक में अब पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य ही हिस्सा ले सकेंगे। अब कोई भी लाल टोपी लगाकर इस बैठक में शामिल नहीं हो सकता है। कुछ जानकार यह भी बताते हैं कि जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में विपक्षी कार्यकर्ताओं पर प्रदर्शन को लेकर एफ आई आर दर्ज किए जा रहे है उसको देखते हुए भी यह दिशानिर्देश बनाए गए है। पिछले दिनों मायावती ने भी अपने कार्यकर्ताओं से एक कह दिया है कि सरकार की नीतियों का विरोध करना है पर इसके लिए सड़क पर नहीं उतरना है।