Dr Sarvepalli Radhakrishnan Birth Anniversary: देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन

By अनन्या मिश्रा | Sep 05, 2024

आज ही के दिन यानी की 05 सितंबर को देश के महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उन्होंने पूरी दुनिया को भारत के दर्शन शास्त्र से परिचय कराया था। वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। राधाकृष्णन बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। बता दें कि दस सालों तक बतौर उपराष्ट्रपति जिम्मेदारी निभाने के बाद साल 1962 में वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म-शिक्षा और परिवार

तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के चित्तूर जिले के तिरुत्तनी गांव के एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में 05 सितंबर 1888 को हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीताम्मा था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा शिक्षा लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति से पूरी की थी। फिर आगे की शिक्षा वेल्लूर और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पूरी की। साल 1902 में राधाकृष्णन ने मैट्रिक स्तर की परीक्षा पास की और साल 1905 में कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। 

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इसके बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शन शास्त्र में एम.ए किया और साल 1918 में मैसूर महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र का सहायक प्रध्यापक नियुक्त किया गया। हालांकि बाद में उसी कॉलेज में प्राध्यापक बनें। बता दें कि राधाकृष्णन का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था। वह इतने गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे कि वह केले के पत्ते पर भोजन करते थे। एक बाद जब राधाकृष्णन के पास केले के पत्ते खरीदने के पैसे नहीं थे, तो उन्होंने जमीन को साफ कर उसी पर भोजन किया था।


बेचने पड़े थे मेडल

सर्वपल्‍ली राधाकृष्णन शुरुआती दिनों में 17 रुपये प्रति माह कमाते थे। इसी कमाई से वह अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके 5 बेटियां और एक बेटा था। बताया जाता है कि परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ पैसे उधार लिए थे। लेकिन समय पर ब्याज न चुका पाने के कारण उन्हें अपने मेडल तक बेचने पड़े थे।


राजनीति में एंट्री

साल 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इस दौरान पं नेहरु ने डॉ. राधाकृष्णन से सोवियत संघ में राजदूत के तौर पर काम करने के लिए कहा। पं. नेहरु की बात मानते हुए साल 1947 से लेकर 1949 तक सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने संविधान सभा के सदस्य के तौर पर काम किया। फिर साल 1952 तक उन्होंने रूस में भारत के राजदूत बनकर जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद 13 मई 1952 को वह देश के पहले उपराष्ट्रपति बनें और साल 1953 से लेकर 1962 तक वह दिल्ली विश्वविद्यालयके कुलपति रहे।


डॉ.राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। बताया जाता है कि राधाकृष्णन के जन्मदिन पर कुछ छात्र उनके पास आए और उनसे जन्मदिन मनाने का आग्रह किया। इस पर राधाकृष्णन ने कहा कि यदि उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, तो उनको अधिक खुशी होगी।


निधन

बता दें कि 17 अप्रैल 1975 को सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया था। राधाकृष्णन को एक आदर्श शिक्षक और दार्शनिक के रूप में याद किया जाता है। मरणोपरांत साल 1975 में उनको अमेरिकी सरकार ने 'टेंपल्टन पुरस्कार' से सम्मानित किया था।

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