बुढ़ापा को दूर ही से भगा देगा यह पौधा! इन बीमारियों से मिलेगा छुटकारा, सिर्फ 7 दिन करें सेवन फिर देखें चमत्कार

By दिव्यांशी भदौरिया | Jan 06, 2025

प्राचीन काल से ही भारत में कई पेड़-पौधों का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। दरअसल, ये पौधे अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। जिनका इस्तेमाल जिक्र आयुर्वेद और चरक सहिचा ङी किया गया है। इन्हीं पौधा में से एक है सत्यानाशी, जो स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए रामबाण सिद्द होगा।

सत्यानाशी के पौधे को देसी औषधियों के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इस पौधे के हर एक हिस्से के अलग-अलग फायदे देता है। बता दें कि, सत्यानाशी का फूलस पत्ते, तना और जड़ सभी में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो सेहत को बेहतर बनाएं रखता है। चलिए आपको इसके फायदे बताते हैं।

अध्ययनों से पता चला है इसके कई स्वास्थ्य लाभ है


यूएस नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार, सत्यानाशी के पौधे में कई गुण होते हैं, जो हेल्थ को बेहतर बनाता है। इसका इस्तेमाल दुनिया भर में कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है।


 संक्रमणों को रोकता है सत्यानाशी


सत्यानाशी का पौधा कई तरह की दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है। सत्यानाशी का पौधा कई तरह के संक्रमणों को रोकने में मदद करता है। मेटाबॉलिक विकारों से राहत दिलाने की क्षमता रखता है। इसके तने और पत्तियों में मेथनॉलिक होता है, जो सेहत को बेहतर बनाने में संजीवनी से कम नहीं है। 


कई हेल्थ समस्याओं को दूर करता 


यह पौधा डायबिटीज को नियंत्रित करता है, बांइपन की समस्या को दूर करता है और  सत्यानाशी फंगल रोधी गुणों के लिए भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके पत्तों के अर्क से बांझपन के इलाज में मदद करता है। बता दें कि, इस पौधे का प्रयोग 2000 से ज्यादा सालों से कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है। इस पौधे में मौजूद ल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, ग्लाइकोसाइड, टेरपेनोइड और फेनोलिक्स जैसे शक्तिशाली तत्व है, जो बेहतरीन लाभ देते हैं।


बुढ़ापे में जवान बना देगा यह पौधा


वैज्ञानिकों ने माना है कि सत्यानाशी के तने और पत्तियों के अर्क में शक्तिशाली एंटीफंगल गुण होते हैं। बॉडी को मजबूत बनाता है यह पौधा। सत्यानाशी में एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो लोगों को लंबे समय तक जवान बनाए रखता है।


 लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पौधे का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।


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