By अभिनय आकाश | Mar 04, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा गया कि वो महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पिछड़ेपन पर ये रिपोर्ट अपने आप में बिना उचित अध्ययन के तैयार की गई है। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर ओबीसी वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण मामले में गठित आयोग की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्टि जताते हुए रिपोर्ट में की गई सिफारिशों का आधार आंकड़ों पर आधारित और तर्क संगत बनाने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को राज्य सरकार को ओबीसी पर आंकड़े, आयोग को इसकी शुद्धता की जांच करने और स्थानीय निकायों के चुनावों में उनके प्रतिनिधित्व पर सिफारिशें करने के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। अदालत ने आयोग को राज्य सरकार से सूचना मिलने के दो सप्ताह के भीतर संबंधित अधिकारियों को अंतरिम रिपोर्ट सौंपने को भी कहा था। महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण के बारे में याचिकाओं पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत में दायर अपनी अर्जी में राज्य ने कहा था कि अंतरिम रिपोर्ट के आलोक में, भविष्य के चुनाव को ओबीसी आरक्षण के साथ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
संभावनाएं तलाशेगी उद्धव सरकार
अदालत द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों में समुदाय को 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट अस्वीकार्य करने के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। विधान भवन परिसर में हुई बैठक के दौरान राज्य मंत्रिमंडल ने शीर्ष अदालत के फैसले पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें कहा गया है कि रिपोर्ट बिना अनुभवसिद्ध अध्ययन और शोध के तैयार की गई है। अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट ने फैसला किया कि सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण बहाल करने के लिए कानूनी विकल्पों का पता लगाएगी। कैबिनेट ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को यह पत्र लिखकर यह कहने का भी फैसला किया कि समुदाय के लिए आरक्षण बहाल करने पर कोई फैसला होने तक ये चुनाव नहीं कराये।