By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 04, 2016
जनता दल (यू) 10 अप्रैल को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नया अध्यक्ष चुनेगी क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष शरद यादव ने इस पद के लिए चौथी बार अपना नाम आगे नहीं करने का निर्णय किया है। शरद यादव इस पद पर पिछले 10 वर्षों से कार्यरत हैं। पार्टी अध्यक्ष केसी त्यागी ने आज अपने बयान में कहा, ''पार्टी अध्यक्ष के रूप में शरद यादव ने तीन लगातार कार्यकाल पूरे किये हैं। उन्होंने अब पार्टी के संविधान में कोई संशोधन कराने से इंकार किया है क्योंकि इसके बाद ही उन्हें अगले कार्यकाल के लिए चुना जा सकता था।’’
शरद यादव, बिहार के मुख्यमंत्री के साथ पार्टी के संस्थापकों में शामिल हैं और वह इस पद पर 2006 से हैं। यादव को पार्टी में संशोधन के बाद 2013 में इस पद के लिए तीसरी बार चुना गया था क्योंकि पार्टी का संविधान अध्यक्ष पद के लिए किसी व्यक्ति को दो कार्यकाल की अनुमति ही देता था। ऐसी अटकलें हैं कि नीतीश कुमार खुद पार्टी प्रमुख का दायित्व संभाल सकते हैं क्योंकि वह पार्टी के आधार को बिहार से बाहर फैलाना चाहते हैं। इसके तहत जदयू के साथ अजीत सिंह की रालोद और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी नीत झारखंड विकास मोर्चा के विलय की चर्चा है।
शरद यादव के करीबी सू़त्रों ने बताया कि उन्होंने नीतीश कुमार को अपने रूख से अवगत करा दिया है कि 10 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व करने के बाद अब वे इस पद पर बने रहने को उत्सुक नहीं हैं और किसी नये व्यक्ति को यह दायित्व सौंपा जाए। नीतीश कुमार के सहयोग से शरद यादव 2006 में पहली बार उस समय जदयू अध्यक्ष बने थे जब जार्ज फर्नांडिस पार्टी के शीर्ष पर थे। इसके बाद यादव 2009 और 2013 में भी जदयू अध्यक्ष पद के लिए चुने गए।
जदयू के नेतृत्व में बदलाव को विश्लेषक पार्टी की आतंरिक रूपरेखा में बदलाव के संकेत के तौर पर देख रहे हैं जब नीतीश कुमार पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं और इसमें उनका सहयोग चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू की जीत में बड़ी भूमिका निभायी थी।