By अजय कुमार | May 06, 2024
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का टिकट बांटने और फिर काटने वाला यूटर्न फार्मूला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी आंच छटें चरण तक पहुंच गई है, जहां 25 मई को मतदान होना है, लेकिन नामांकन की तारीख समाप्त होने के एक दिन पहले अखिलेश यादव ने श्रावस्ती लोकसभा सीट से प्रत्याशी बदल कर सबको चौका दिया है।
गौरतलब हो सपा प्रमुख ने पहले बसपा से निकाले गए सांसद राम शिरोमणि वर्मा को सपा ने प्रत्याशी बनाया था, परंतु गत दिवस अचानक राम शिरोमणि वर्मा का टिकट कटने की चर्चा शुरू हो गई। सोशल मीडिया पर श्रावस्ती लोकसभा सीट से प्रत्याशी बदलने और पूर्व विधायक कांग्रेस प्रदेश सचिव धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू के उम्मीदवार बनने की पोस्ट वायरल होने लगी। लोग एक दूसरे को फोन करके प्रत्याशी बदलने की पुष्टि करने लगे। धीरू के समर्थक उनके कालीथान स्थित आवास पर एकत्र होकर पटाखे जलाकर कर खुशी मनाने लगे। वहीं इस मौके पर माध्यमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष भगवती शुक्ल, सपा नेता इकबाल जावेद, अंगद शरन गौतम भी उनके आवास पर खड़े दिखे। पूर्व विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह के करीबी लाखन सिंह ने दो सेट नामांकन फार्म पहले ही ले रखा था।
सपा जिलाध्यक्ष डॉ. माणिकलाल कश्यप ने भी बताया कि प्रत्याशी बदलने कर जानकारी लखनऊ कार्यालय से फोन से दी गई है, लेकिन अधिकारिक रूप से कोई पत्र नहीं मिला है। लखनऊ कार्यालय से फोन करने वाले ने देर रात तक पत्र मिल जाने की बात कही है। दूसरी तरफ नामांकन कर श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे राम शिरोमणि वर्मा के खेमे में मायूसी है। उनके लोगों ने बताया कि सांसद भी लखनऊ गए हैं। पूर्व विधायक कांग्रेस प्रदेश महासचिव धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू ने फोन पर बताया कि सपा से उनको टिकट मिल गया है। आज सोमवार को वह नामांकन भी कर रहे हैं।
इस पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि पूर्व विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू को गठबंधन दल का प्रत्याशी बनाया गया है। सपा में आए सांसद राम शिरोमणि वर्मा वर्ष 2019 में सपा-बसपा गठबंधन से बसपा प्रत्याशी के रूप में श्रावस्ती से चुनाव लड़ा था। और जीत दर्ज की थी। इस बार बसपा ने उन्हें अनुशासनहीनता के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद सपा का दामन थाम कर वह टिकट ले आए थे।
धीरू 2007 में बलरामपुर सदर विधानसभा से बसपा के बैनर तले हला चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 2010 में विधान परिषद सदस्य का चुनाव पत्नी सविता सिंह को लड़ाया और शानदार जीत दर्ज की। वर्ष 2012 में बलरामपुर में सीट आरक्षित होने पर बसपा से उतरौला विधानसभा का चुनाव लड़े और कम मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। वर्ष 2019 में श्रावस्ती लोकसभा से कांग्रेस से चुनाव भी लड़ चुके हैं। वह विधायक बनने से पहले प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं।