Sumitranandan Pant Birth Anniversary: प्रकृति के 'सुकुमार कवि' कहे जाते थे सुमित्रानंदन पंत, महज 7 साल की उम्र से लिखने लगे थे कविताएं

By अनन्या मिश्रा | May 20, 2024

महान कवि सुमित्रानंदन पंत के बारे में तो हम सभी ने पढ़ रखा है। साहित्य में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वह छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे। आज ही के दिन यानी की 20 मई को महान कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म हुआ था। उन्होंने महज 7 साल की उम्र से कविताएं लिखनी शुरूकर दी थीं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर कवि सुमित्रानंदन पंत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।


जन्म और शिक्षा

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गांव में 20 मई 1900 को सुमित्रानंदन पंत का जन्म हुआ था। पंत के जन्म के महज 6 घंटे बाद उनकी मां का निधन हो गया। जिसके बाद वह अपनी दादी के साथ रहा करते थे। महज 7 साल की उम्र से उन्होंने कविताएं लिखना शुरूकर दिया था। व्यापक रूप से पंत को जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा के साथ छायावाद के चौथे स्तंभ के रुप में देखा जाता था। 


सुमित्रनंदन पंत ने अपनी स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा से पूरी की। फिर वह बड़े भाई देवी दत्त के साथ काशी के क्वींस कॉलेज में दाखिल हुए। इस समय तक उनके अंदर के कवि का अक्स निखरकर सार्वजनिक हो चुका था। पंत की कविताएं छायावादी थीं और विचार प्रगतिशील व मार्क्सवादी थे। उनकी कविताओं को गुरुवर रवींद्रनाथ टैगोर ने भी नोटिस किया। वह मां की ममता से वंचित रह गए और प्रकृति को अपनी मां मानते थे। उन्होंने 25 सालों तक सिर्फ स्त्रीलिंग पर कविताएं लिखीं।

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गुसाईं दत्त था बचपन का नाम

बता दें कि सुमित्रानंदन पंत के बचपन का नाम गुसाईं दत्त था। लेकिन उनको यह नाम पसंद नहीं था। क्योंकि उन्हें गोसाई नाम में गोस्वामी तुलसीदास की छवि दिखती थी। वहीं गोस्वामी तुलसीदास का जन्म अभाव में होने के साथ ही जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा था। पंत को उन परिस्थितियों का सामना न करना पड़े, इसलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख दिया। 


अमिताभ बच्चन का नामकरण 

पंत की हरिवंशराय बच्चन के साथ अच्छी दोस्ती थी। वहीं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को तो हम सभी लोग जानते हैं। लेकिन इस बात की जानकारी काफी कम लोगों को है कि हरिवंशराय बच्चन को सुमित्रानंदन पंत ने यह सुझाव दिया था कि वह अपने बेटे का नाम इंकलाब की जगह अमिताभ रखे। 


पंत की रचनाएं 

पंत ने न सिर्फ प्रकृति के सौंदर्य को महसूस किया, बल्कि उसे बेहद खूबसूरती के साथ सटीक शब्दों में सजाकर लोगों के सामने रखा। साल 1918 के आसपास सुमित्रानंदन पंत हिंदी की नवीन धारा के प्रवर्तक के रूप में पहचाने जाने लगे। पंत की पहली काव्य संग्रह 'वीणा' नामक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई। फिर कविताएं पल्लव में प्रकाशित हुए। उनकी कुछ काव्य कृतियों में स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूली, कला, ग्रंथि, गुंजन, ग्राम, युगांत, बूढ़ा चांद, लोकायतन और सत्यकाम आदि शामिल हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति और कला के सौंदर्य की प्रमुखता मिलती है। पंत ने कविताओं के माध्यम से सुख-दुख में जीवन की असलियत समझाने का प्रयास किया। 


पंत के नाम पर संग्रहालय 

बचपन से कसौनी में सुमित्रनंदन पंत रहा करते थे। उनके रहने वाली जगह को वीथिका नामक संग्रहालय में बदल दिया गया। यहां पर पंत के कपड़ों, छाया चित्रों, कविताओं की मूल पांडुलिपियों, पत्रों और पुरस्कारों को प्रदर्शित किया गया है। इस पुस्तकालय में उनसे संबंधित किताबें भी रखी गई हैं।


मृत्यु

आपको बता दें कि दिल का दौरान पड़ने से 28 दिसंबर 1977 को सुमित्रानंदन पंत का निधन हो गया था।

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