By अभिनय आकाश | Sep 02, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि नियुक्ति चाहने वाले शिक्षकों और पदोन्नति चाहने वाले सेवारत शिक्षकों, दोनों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अल्पसंख्यक दर्जे वाले शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति से पहले पाँच साल से कम सेवा शेष है, उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता नहीं होगी। हालाँकि, अगर वे पदोन्नति चाहते हैं तो उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना होगा।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) लागू होने से पहले नियुक्त हुए और जिनकी सेवा अवधि पाँच साल से ज़्यादा बची है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा। अदालत ने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे शिक्षकों को केवल स्थायी लाभ ही मिलेंगे। अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शिक्षण संस्थानों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आदेश फिलहाल उन पर लागू नहीं होगा। अदालत ने कहा कि आरटीई अधिनियम अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होता है या नहीं, यह एक कानूनी प्रश्न है जो सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के पास लंबित है। अदालत ने कहा, जब तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं होगा।