By अभिनय आकाश | Jul 15, 2025
क्या मानचित्र पर नाम मायने रखते हैं? जब वे सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ा हो तो जवाब हां में ही मिलता है। चीन एक ऐसा देश है जिसका दुनिया में कोई देश ऐतबार नहीं कर सकता है। दुनियाभर में भी कोई ऐसा सगा नहीं है जिसे चीन ने ठगा नहीं है। चीन ताइवान पर जबरन कब्जे की फिराक में दशकों से बैठा है। नेपाल से दोस्ती की आड़ में उसके इलाके पर टेढ़ी नजर है। हांगकांग की आजादी का अतिक्रमण हो या साउथ चाइना सी में वियतनाम, ब्रनेई, फिलीपींस, मलेशिया से टकराव। सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान से लड़ रहा। मंगोलिया में कोयला भंडार पर चीन की नजर। भारत के अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का चीनी नाम रखने के बाद चीन की हिमाकत बढती ही जा रही है। चीन एक शातिर देश है। निश्चित ही तिब्बत पर कब्जा करने की मंशा भारत को ही केंद्रित करके की गई होगी। तिब्बत पर कब्जा करने के पश्चात एक तो भारतीय सीमा के निकट पहुंचने में सफलता प्राप्त हो जाएगी। पाकिस्तान जैसे सदाबहार मित्र का पड़ोसी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के माध्यम से बना। अर्थात पीओके से ही चीन की सीमा पाकिस्तान से लगती है। जिसको लेकर भारत पाकिस्तान के बीच विवाद है।
दक्षिण चीन सागर के संदर्भ में चीन की नीति से संपूर्ण विश्व परिचित है। अपनी विस्तारवादी नीति के तहत दक्षिण चीन सागर पर वो अपने एकाधिकार का दावा करता है। लेकिन दक्षिण चीन सागर किसी एक देश की धरोहर न होकर एक प्रमुख वैश्विक व्यापारिक मार्ग है। इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर के तटवर्ती देश पर प्राकृतिक तेल, गैस, ऊर्जा, मस्थ सुरक्षा इत्यादि हेतु निर्भर हैं। ऐसे में चीन द्वारा विवादित द्वीपों पर कब्जा और कृत्रिम द्वीपों के निर्माण के माध्यम से अपने क्षेत्र में वृद्धि करने की नीति और कृत्रिम द्वीपों पर नौसैनिक अड्डा बनाए जाने के कारण दक्षिण चीन सागर के तटीय देश वियतमान, फिलिपींस, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि चीन से नाराज हैं। इसलिए ये तटवर्ती देश चीन से दूरी बना रहे हैं और भारत के साथ नजदीक आ रहे हैं।
चीन की विस्तारवादी मानसिकता के कारण तटवर्ती देश चीन के विरूद्ध लामबंद हो रहे हैं। इस प्रकार दक्षिण चीन सागर में चीनी वर्चस्व चीन को न केवल महाशक्तियों से अपितु उसके पड़ोसियों से भी दूर कर रहा है। भारत तिब्बत और भूटान की सीमा पर देखें तो चीन भूटान के भूभाग को हड़पने की नीयत के कारण सीमा पर तनाव जारी है। दरअसल, तिब्बत की तरह भूटान को छोटा और कमजोर राष्ट्र समझकर चीन की मंशा उचित प्रतीत नहीं होती। डोकलाम के संदर्भ में विवादस्पद नक्शे को जारी कर चीन ने उस भूभाग को अपना बताकर मंशा जाहिर कर दी। भूटान सरकार का भारत सरकार के साथ सुरक्षा समझौता है। ऐसे में भूटान की सुरक्षा का दायित्व भारत सरकार के पास है।
तिब्बत की दुर्दशा देखकर भूटान ने भारत से कहा कि आप हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले लोगे तो हम आपको सुरक्षा की जिम्मेदारी देंगे। विदेश नीति, संचार व्यवस्था और सेना सबकुछ आप ही संभालोगे। भारत ने हामी भरी और भूटान की सुरक्षा भारत करता है। हम ऐसा इसलिए करते हैं कि चीन पर हमें बढ़त मिल सके। भूटान से चीन पर आसानी से हमला किया जा सकता है। चीन भूटान पर कब्जे की मंशा रखता है और उसी नीयत को लिए 2017 में वो डोकलाम में घुस गया। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों तक आमना-सामना हुआ था। भारत की आजादी के बाद भूटान के साथ एक संधि हुई थी। इसके तहत भारत भूटान के आंतरिक मामलों में कभी भी हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन यहां की विदेश नीति पर हमेशा दिल्ली का ही प्रभाव रहेगा।