By अभिनय आकाश | Aug 30, 2025
आगरा शिखर वार्ता मध्य जुलाई 2001 में हुई और अनिर्णित रही। अनुमान यह था कि भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध आगरा की विफलता के फलस्वरूप उत्पन्न विकट परिस्थितियों पर केंद्रित रहेंगे। लेकिन भारतीय संसद पर हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया।
13 दिसंबर 2001 की सुबह यूं तो आम दिन की तरह ही थी। दिल्ली में ठंड ने दस्तक देनी शुरू ही की थी। सुबह के 11 बजकर 28 मिनट के करीब हो रहे थे। लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद जहां से भारत का शासन चलता आया है। सत्ता और विपक्ष के बीच मंथन के केंद्र संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्ष के जबरदस्त हंगामें के बीच संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित कर दी जाती है। जिसके बाद तत्तकालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेता विपक्ष सोनिया गांधी सदन के परिसर से निकलकर अपने-अपने सरकारी निवास की ओर प्रस्थान कर चुके थे। लेकिन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी अपने साथी मंत्रियों और करीब 200 सांसदों के साथ अब भी लोकसभा में उपस्थित थे। जैश ए मोहम्मद के हमले में आठ सुरक्षाकर्मी और संसद के एक कर्मचारी ने अपने जान गंवाए थे। जिनमें दिल्ली पुलिस के पांच सुरक्षाकर्मी, केंद्रीय रिजर्व बल की महिला सुरक्षाकर्मी, राज्य सभा सचिवालय में काम करने वाले दो कर्मचारी और एक माली शामिल थे।
2002 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 9/11 के हमलों के बाद पश्चिमी दबाव के बीच वचन दिया था कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद का मुकाबला करेगा। 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान, मुशर्रफ़ ने नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम का आह्वान किया और भारत और पाकिस्तान तनाव कम करने और शत्रुता समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुँचे। 2004 में मुशर्रफ़ ने भारतीय प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ बातचीत की। लेकिन 2007 में भारत और पाकिस्तान को जोड़ने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन पर नई दिल्ली के उत्तर में पानीपत के पास बम विस्फोट हुआ। इसमें 68 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। 2008 में नियंत्रण रेखा के पार व्यापार संबंधों में सुधार होने लगा और भारत, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 7.6 बिलियन डॉलर की गैस पाइपलाइन परियोजना पर एक रूपरेखा समझौते में शामिल हो गया।
26 नवंबर 2008 को वो दिन था जब पूरा देश मुंबई में हुए आतंकी हमले की वजह से सहम गया था। हमले में मारे गए लोगों के परिवार और घायलों के जख्म अभी भी ताजा हैं। आज ही के दिन समुद्री रास्ते से आए लश्कर-ए-तयैबा के दस आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। मुंबई में हुए आतंकी हमले की आज 12वीं बरसी है। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों का दिल दहल उठता है। लगभग 60 घंटे तक आपरेशन चला था। 9 आतंकवादियों को मार गिराया गया था जबकि एक आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई।'