By अभिनय आकाश | Aug 30, 2025
कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान ने जो कुछ भी किया था उसके बाद भारत मायूस था। उम्मीद कर रहा था। आज पूरा देश अपने प्रधानमंत्री को धन्यवाद अदा कर रहा है। पाकिस्तान के घर में घुसकर एक, दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार तीन अलग अलग प्रधानमंत्रियों को उनकी औकात दिखा दी। उरी हमले के बाद नवाज शरीफ को धूल चटाया। पुलवामा किया तो इमरान खान के शासनकाल में जमीन की बजाए आसमान से घुसकर ऐसा तांडव मचाया कि सेना से लेकर सरकार तक के पैर कांपने लग गए। पहलगाम के बाद जो हिंदुस्तानियों में जो गुस्सा भरा था, उस गुस्से को समझकर, समय लेकर पाकिस्तान को वो जख्म दिया जिसका देश इंतजार कर रहा था। सिंदूर का बदला आतंकवादियों के खून से लिया गया। 22 अप्रैल को जो आतंकियों की चेतावनी थी सात मई को उस चेतावनी का हिसाब चुकता हो गया। 9 मिसाइलों की गर्जना के बाद रावलपिंजी से लेकर बहावलपुर, मुजफ्फराबाद, मीरपुर हर ठिकाने को राख में तब्दील कर दिया। पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादियों के अड्डे को मटियामेट कर दिया।
मोदी जी ने कहा था कि इस बार पुलवामा और उरी के हमले के बाद जो प्रहार हुआ था उससे बहुत बड़ा प्रहार होगा। फिर ऑपरेशन सिंदूर की खबर आने के बाद भारतीय फौज के लिए सम्मान बढ़ा है और मोदी जी के लिए हर देशवासियों के दिल से शुक्रिया निकल रहा है। पाकिस्तान वो मुल्क है जहां प्रधानमंत्री तो बदलते रहते हैं लेकिन आतंकवाद को बदलने की नीति नहीं बदलती। नवाज शरीफ आए तो भारत ने उरी का दंश झेला। इमरान खान के आने पर पुलवामा जैसी साजिश को अंदाज दिया गया। शहबाज शरीफ ने पहलगाम दिया। हर बार पाकिस्तान की वही कहानी है। आतंकवाद शिविर अपने घरों में लगाते हैं। हिंदुस्तान पर हमला करते हैं। उसके बाद भारत रिएक्ट करता है तो दुनिया के सामने हम निर्षोष हैं का गाना गाते हैं।
सॉफ्ट नेशन की धारणा का मतलब है कि एक देश अपनी विदेश नीति में पर्याप्त रूप से आक्रामक या दृढ़ नहीं है। विशेष रूप से आतंकवाद और पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान के साथ संबंधों में भारत बिल्कुल भी दृढ़ नहीं रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में भारत की भूमिका और वैश्विक संघर्षों में तटस्थता ने इसे सैन्य आक्रामकता से दूर एक ‘नरम’ देश के रूप में प्रस्तुत किया। भारत को सॉफ्ट नेशन का दर्जा ऐतिहासिक शांतिवाद, संयमित कूटनीति, और सीमित सैन्य आक्रामकता के कारण मिला। हालांकि, 21वीं सदी में भारत की नीतियों, सैन्य कार्रवाइयों, और वैश्विक प्रभाव में बदलाव ने इस धारणा को काफी हद तक कमजोर किया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट हवाई हमले, और 2025 का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ भारत के आक्रामक रुख को दर्शाते हैं। भारत की स्वतंत्रता गांधीवादी अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित थी, जिसने विश्व में भारत को शांतिप्रिय राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।