Israel Vs Arab World Part 5 | इजरायल के कौन दोस्त कौन दुश्मन, भारत का स्टैंड क्या? | Teh Tak

By अभिनय आकाश | May 28, 2024

इजरायल और हमास में ज्यादातर ताकतवर देश इजरायल के साथ हैं। आज भले ही अमेरिका ने फौरी तौर पर इजरायल को राफा संघर्ष की वजह से हथियारों की खेप देने से मना कर दिया हो। लेकिन इतिहास में अमेरिका ने तो खुलकर इजरायल का समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यहां तक कह दिया था कि अन्य देश इस संघर्ष से दूर रहे। ब्रिटेन का भी रुख कमोबेश अमेरिका जैसा ही रहा है। ब्रिटिश पीएम सुनक ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ अपने संयुक्त बयान में इस्राइल के लिए 'दृढ़ता और एकजुटता' के साथ समर्थन जाहिर किया। उन्होंने आतंकवादी हरकतों के लिए हमास की का कोई औचित्य नहीं है और इसकी हर तरह से निंदा की जानी चाहिए। बयान में कहा गया कि हमारे देश इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने के प्रयासों में इस्राइल का समर्थन करेंगे। हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि इस्राइल के प्रति शत्रुता का भाव रखने वाले किसी भी संगठन के लिए यह समय इन हमलों का लाभ उठाने का नहीं है। इन पांच नेताओं ने कहा कि वे फलस्तीनी लोगों की वैध आकांक्षाओं को मान्यता देते हैं। इस्राइल और फलस्तीनियों के लिए न्याय और स्वतंत्रता के समान उपायों का समर्थन करते हैं। लेकिन हमास फलस्तीनी लोगों की इन आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। 

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फिलिस्तीन के समर्थन में पाकिस्तान समेत सारे मुस्लिम देश 

मुस्लिम देश ईरान, कतर, कुवैत, लेबनान, यमन, इराक और सीरिया पूरी तरह से फिलिस्तीन के साथ हैं। पिछले दिनों इजरायल से संबंध सुधारने की दिशा में काम कर रहे सऊदी अरब ने भी इजरायल को चेतावनी दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने हमास के हमले को फिलिस्तीनियों का सेल्फ डिफेंस एक्ट बताया था। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि ये ऑपरेशन सत्ता हथियाने वाले शासन के चरमपंथियों के प्रति फिलिस्तीनियों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। उन्होंने बाकी मुस्लिम देशों से अल अक्सा मस्जिद और फिलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन करने का आह्वान किया। इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सूडानी ने एक बयान में कहा कि फिलिस्तीनी लोगों द्वारा किया गया ये ऑपरेशन कई सालों से व्यवस्थित उत्पीड़न का स्वाभाविक परिणाम है। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के उल्लंघन के चलते इस हमले के लिए जिम्मेदार है। सीरिया ने भी सरकारी समाचार मीडिया के माध्यम से हमास के इजरायल पर हमले के लिए समर्थन दिखाते हुए बयान जारी किए। सऊदी अरब ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। उकसावे और फिलिस्तिनयों को अधिकारों से वंचित रखने के चलते ये हमला हुआ। 

भारत और इजरायल 

इजरायल और भारत की दोस्ती बेहद गहरी है। लेकिन इसके साथ ही भारत ने फिलिस्तीन के अलग देश के रूम में वजूद में रहने का भी समर्थन किया है। जिसका नजारा संयुक्त राष्ट्र में भी देखने को मिला है। भारत के इज़राइल के साथ रणनीतिक संबंध भी हैं, खासकर जब रक्षा और सुरक्षा की बात आती है। नई दिल्ली देश से सैन्य उपकरणों का शीर्ष खरीदार है और इज़राइल ने गोला-बारूद प्रदान करके कारगिल युद्ध में भारत का समर्थन किया था। भारत-इज़राइल व्यापार संबंध मजबूत हुए हैं और व्यापार लगभग 7.5 बिलियन डॉलर का है। भारत और इज़राइल दोनों की आतंकवाद के बारे में समान चिंताएँ हैं, जिन्हें 26/11 के हमलों के दौरान बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था।

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