दिलचस्प थी नेताजी की प्रेम कहानी, बरकरार है मौत का रहस्य

By योगेश कुमार गोयल | Jan 23, 2020

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के संबंध में कई दशकों से यही दावा किया जाता रहा है कि 18 अगस्त 1945 को सिंगापुर से टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास फार्मोसा में उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस हवाई दुर्घटना में उनका निधन हो गया। हालांकि उनका शव कभी नहीं मिला और मौत के कारणों पर आज तक विवाद बरकरार है। उनकी मृत्यु का रहस्य जानने के लिए विभिन्न सरकारों द्वारा पूर्व में कुछ आयोगों का गठन भी किया जा चुका है और कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग पर सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच भी गठित की गई किन्तु अभी तक रहस्य से पर्दा नहीं उठा है। फैजाबाद के गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले तक में नेताजी के होने संबंधी कई दावे भी पिछले दशकों में पेश हुए किन्तु सभी की प्रामाणिकता संदिग्ध रही और नेताजी की मौत का रहस्य यथावत बरकरार है। हालांकि जापान सरकार बहुत पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं और भारत सरकार द्वारा कुछ समय पूर्व सार्वजनिक की गई नेताजी से संबंधित कुछ गोपनीय फाइलों में मिले एक नोट से तो यह सनसनीखेज खुलासा भी हुआ कि 18 अगस्त 1945 को हुई कथित विमान दुर्घटना के बाद भी नेताजी ने तीन बार 26 दिसम्बर 1945, 1 जनवरी 1946 तथा फरवरी 1946 में रेडियो द्वारा राष्ट्र को सम्बोधित किया था। इस खुलासे के बाद नेताजी की मौत का रहस्य और गहरा गया है।

इसे भी पढ़ें: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दी थी गांधीजी को ''महात्मा'' की उपाधि

सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी भी काफी दिलचस्प रही। फरवरी 1932 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल में बंद नेताजी की तबीयत खराब होने लगी थी तो ब्रिटिश सरकार इलाज के लिए उन्हें यूरोप भेजने पर सहमत हो गई। विएना में सुभाष के इलाज के दौरान एक यूरोपीय प्रकाशक ने उन्हें एक किताब ‘द इंडियन स्ट्रगल’ लिखने की जिम्मेदारी सौंपी, जिसके बाद उन्हें एक ऐसे सहयोगी की जरूरत महसूस हुई, जिसे अच्छी अंग्रेजी और टाइपिंग आती हो। उनके एक दोस्त डा. माथुर ने उन्हें दो ऐसे लोगों के बारे में बताया किन्तु सुभाष द्वारा इंटरव्यू के दौरान पहले को रिजेक्ट कर दिए जाने के बाद दूसरे उम्मीदवार को बुलाया गया, जो 26 जनवरी 1910 को ऑस्ट्रिया के एक कैथोलिक परिवार में जन्मी 22 वर्षीय खूबसूरत युवती एमिली शेंकल थी, जिसके पिता एक प्रसिद्ध पशु चिकित्सक थे। सुभाष उससे बहुत प्रभावित हुए और जून 1934 में एमिली ने नेताजी के साथ काम करना शुरू कर दिया। एमिली से मुलाकात के बाद सुभाष के जीवन में नाटकीय परिवर्तन आया। एमिली की खूबसूरती ने सुभाष पर मानो जादू सा कर दिया था। वह एमिली की ओर आकर्षित होने लगे और दोनों में स्वाभाविक प्रेम हो गया। दोनों भले ही एक-दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे किन्तु 1934 से 1945 के बीच करीब 11 वर्षों के संबंधों में दोनों तीन वर्ष से भी कम समय तक साथ रह सके। नाजी जर्मनी के सख्त कानूनों को देखते हुए दोनों ने 26 दिसम्बर 1937 को आस्ट्रिया के बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया। विएना में एमिली ने 29 नवम्बर 1942 को एक पुत्री को जन्म दिया, जिसके चार सप्ताह की होने पर सुभाष ने उसे पहली बार देखा था और उसका नाम अनिता बोस रखा, जो फिलहाल सपरिवार जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।

 

- योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा तीस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं)

 

प्रमुख खबरें

SRH vs LSG: लखनऊ के खिलाफ सनराइजर्स हैदराबाद ने 58 गेंदों में चेज किया 166 रनों का टारगेट, ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा की बेहतरीन पारी

Aurangabad और Osmanabad का नाम बदलने पर अदालत के फैसले का मुख्यमंत्री Shinde ने किया स्वागत

तीन साल में पहली बार घरेलू प्रतियोगिता में भाग लेंगे Neeraj Chopra, Bhubaneswar में होगा आयोजन

Israel ने Gaza में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक अहम क्रॉसिंग को फिर से खोला