By अनन्या मिश्रा | Jul 16, 2025
वहीं अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन की कोशिकाओं के बढ़ने के तरीके में होने वाले बदलाव से भी स्किन कैंसर हो सकता है। स्किन कैंसर के शुरूआती लक्षणों में स्किन पर नया उभार या दाग दिखाई दे सकता है। वहीं अगर पहले से मौजूद मस्से, तिल या निशान के आकार, बनावट और रंग में बदलाव हो रहा है, तो भी आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको स्किन कैंसर के लक्षणों और इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताने जा रहे हैं।
स्किन कैंसर में स्किन की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। पुरानी कोशिकाएं आमतौर पर मर जाती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं बनती हैं। लेकिन अगर यह प्रोसेस गड़बड़ा जाता है, तो कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा और गलत तरीके से बढ़ने लगती हैं। कुछ कोशिकाएं नॉन कैंसरस होती हैं। जोकि शरीर में नहीं फैलती हैं और ज्यादा नुकसान नहीं करती हैं। यही कैंसर वाली कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
स्किन पर नया मस्सा, घाव, उभार या गहरे रंग का दाग होना।
यदि मस्से या दाग का आकार एक समान नहीं है।
मस्से या निशान के किनारे कटे-फटे या अनियमित हैं।
एक ही मस्से में कई रंग होना।
निशान का रंग गुलाबी, सफेद, नीला, काला या लाल है।
अगर मस्से या दाग की चौड़ाई 6 मिलीमीटर से अधिक है।
कोई घाव या दाग, जो बार-बार ठीक होने के बाद हो जाता है।
दाग या फिर मस्से के रंग, आकार या लक्षण अक्सर बदल रहा है।
अगर स्किन पर बार-बार हल्की जलन या फिर खुजली हो रही है। जबकि आमतौर पर उन हिस्सों में जहां ऐसा नहीं होता है, तो यह स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। बेसल सेल कार्सिनोमा जोकि कॉमन स्किन कैंसर है। यह एक मोती, चमकदार जैसे दाने या फिर न भरने वाला निशान होता है।
यदि नाखून के नीचे भूरे या काले रंग की धारियां दिख रही हैं, तो इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह सबएंगुअल मेलानोमा यानी रेयर, लेकिन गंभीर स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। पैर के नाखून या उंगली में एक पट्टी जैसी लाइन के रूप में दिखता है और नाखून को जड़ से अलग कर सकता है।
अगर स्किन पर अचानक से लाल भूरे या बैंगनी रंग के पैच दिखते हैं, तो यह नॉर्मल रैश नहीं है, बल्कि कैंसर का लक्षण हो सकता है। रेयर स्किन कैंसर कपोसी सारकोमा ऐसा ही दिखता है। साथ ही यह कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से होता है।
अगर स्किन पर बार-बार पपड़ीनुमा या सूखे पैच बनते हैं और यह मॉइस्चराजर या क्रीम से भी नहीं ठीक होते हैं। तो यह एक्टिनिक कैरेटोसिस नाम की प्री-कैंसर कंडीशन हो सकता है। जोकि बाद में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा में बदल सकती है।
अगर आपके किसी पुरानी मस्से का आकार या रंग बदलने लगे और उसमें खून, खुजली या पपड़ी बनने लगे, तो इसको भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह मेलानोमा का संकेत हो सकता है। ऐसे मस्सों की नियमित जांच होना बेहद जरूरी होता है।
अगर त्वचा पर कोई घाव या अल्सर है, जोकि कई सप्ताह से ठीक नहीं हो रहा है या फिर ठीक होकर बार-बार फिर से खुल रहा है। तो यह भी खतरे की घंटी हो सकती है।
30 साल के बाद त्वचा पर उभार या मस्सा बनना जो खासकर भूरे या गुलाबी रंग का हो या फिर कोई नई गांठ हो तो यह भी स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। बता दें कि यह गांठें कई बार पुराने घाव या मस्से जैसी लग सकती हैं।
अगर कोई मामूली कट या स्क्रैच ठीक नहीं हो रहा या फिर ठीक होने के बाद फिर से घाव भर जाता है, तो यह बेसल सेल कार्सिनोमा का लक्षण हो सकता है। आमतौर पर यह गर्दन, चेहरे, हाथ, पैर, कान या छाती जैसी धूप में खुली जगहों पर होता है।
हालांकि स्किन कैंसर कैसा दिखेगा, यह उसके प्रकार पर भी निर्भर करता है। हर स्किन कैंसर अलग तरह का दिख सकता है, लेकिन कुछ सामान्य संकेतों की मदद से आप इनको पहचान सकते हैं। इसको याद रखने का आसान तरीका ABCDE रूल है।
बता दें कि तिल या दाग का आकार एक जैसा नहीं होता है। इसका एक हिस्सा दूसरे से अलग दिखता है।
इसके किनारे साफ और गोल नहीं होते हैं, बल्कि यह धुंधते या कटे-फटे होते हैं।
तिल या दाग में एक से अधिक रंग दिखते हैं, जैसे काला, गुलाबी, भूरा या लाल रंग।
अगर मस्सा, तिल या दाग 6 मिलीमीटर से बड़ा है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।
दाग या तिल का रंग, आकार, मोटाई या लक्षण जैसे दर्द, खून, खुजली होना और समय के साथ इनका बदलना, यह सब जरूरी संकेत होते हैं और इनको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हालांकि स्किन कैंसर किसी को भी हो सकता है फिर चाहे वह किसी भी जेंडर, उम्र या रंग का हो। कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। वहीं 50 साल से पहले महिलाओं में स्किन कैंसर का खतरा अधिक देखने को मिलता है। वहीं 50 साल की उम्र के बाद पुरुषों में स्किन कैंसर का खतरा ज्यादा कॉमन होता है।
जो लोग ज्यादा समय धूप में बिताते हैं, फिर चाहे काम या खेलने की वजह।
जिन लोगों को जल्दी सनबर्न हो जाता है या फिर जिन लोगों को पहले कई बार सनबर्न हो चुका होता है।
जो पहाड़ों पर या एकदम सीधी धूप पड़ने वाले इलाके में रहते हैं।
जो लोग टैनिंग बेड या टैनिंग का इस्तेमाल करते हैं।
जिन लोगों की स्किन गोरी है बाल सुनहरे या लाल हैं। जिनके फेस पर झाइयां हैं और आंखें हल्के रंग की हैं।
शरीर में बहुत तिल होना या मस्से का आकार और रंग अजीब होना।
जिन लोगों को एक्टिनिक केराटोसिस नाम की स्किन कंडीशन है, उनकी स्किन पर गहरे गुलाबी, भूरे रंग या खुरदरे पैच होते हैं।
जिन लोगों की फैमिली में पहले किसी को स्किन कैंसर हो चुका है।
जिनका कभी ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है, उनको स्किन कैंसर का खतरा हो सकता है।
वह लोग जो ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनसे इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
जो लोग पहले स्किन डिजीज जैसे एक्जिमा या सोरायसिस के लिए UV लाइट थेरेपी ले चुके हों।