माँ दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से समस्त पापों एवं बाधाओं से मुक्ति मिलती है

By विजयेन्दर शर्मा | Oct 09, 2021

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


माँ दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से समस्त पापों एवं बाधाओं से मुक्ति मिलती है।  नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती की तृतीय शक्ति मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। जिसके कारण मां चंद्रघंटा और मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ संयोग एक ही दिन बन रहा है। आज शारदीय नवरात्रि की तृतीया तिथि है और मां चंद्रघंटा के साथ कूष्मांडा माता का पूजन भी आज ही किया जाएगा।

 

 

चंद्रघंटा  देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंदंमा विराजमान है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है।

 

 

एक बार महिषासुर नाम के एक राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. उसने देवराज इंद्र को युद्ध में हराकर स्वर्गलोक पर विजय प्राप्त कर ली और स्वर्गलोक पर राज करने लगा। युद्ध में हारने के बाद सभी देवता इस समस्या के निदान के लिए त्रिदेवों के पास गए। देवताओं ने भगवन विष्णु, महादेव और ब्रह्मामां जी को बताया की महिषासुर ने इंद्र, चंद्र, सूर्य, वायु और अन्‍य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और उन्हे बंदी बनाकर स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया है  । देवताओं ने बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण देवताओं को धरती पर निवास करना पड़ रहा है ।

 


देवताओं की बात सुनकर त्रिदेवों को अत्याधिक क्रोध आ गया. और उनके मुख से ऊर्जा उत्पन्न होने लगी ।   इसके बाद यह ऊर्जा दसों दिशाओं में जाकर फैल गई. उसी समय वहां पर एक देवी चंद्रघंटा ने अवतार लिया. भगवान शिव ने देवी को त्रिशुल विष्णु जी ने चक्र दिया ।   इसी तरह अन्य देवताओं ने भी मां चंद्रघंटा   को अस्त्र शस्त्र प्रदान किए. इंद्र ने मां को अपना वज्र और घंटा प्रदान किया. भगवान सूर्य ने मां को तेज और तलवार दिए ।   इसके बाद मां चंद्रघंटा को सवारी के लिए शेर भी दिय गया ।   मां अपने अस्त्र शस्त्र लेकर महिषासुर से युद्ध करने के लिए निकल पड़ीं ।

 


मां चंद्रघंटा  का रूप इतना विशालकाय था कि उनके इस स्वरूप को देखकर महिषासुर अत्यंत ही डर गया। महिषासुर ने अपने असुरों को मां चंद्रघंटा पर आक्रमण करने के लिए कहा. सभी राक्षस से युद्ध करने के लिए मैदान में उतर गए. मां चंद्रघंटा  ने सभी राक्षसों का संहार कर दिया. मां चंद्रघंटा  ने महिषासुर के सभी बड़े राक्षसों को मार दिया और अंत में महिषासुर का भी अंत कर दिया  ।   इस तरह मां चंद्रघंटा  ने देवताओं की रक्षा की और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति कराई । 

प्रमुख खबरें

Delhi Police Headquarters को बम होने का संदेश भेजने के आरोप में नाबालिग को पकड़ा गया

Covaxin Vaccine पूरी तरह सुरक्षित है : Bharat Biotech

कांग्रेस ने रायबरेली से Rahul Gandhi, अमेठी से Kishori Lal Sharma को चुनाव मैदान में उतारा

Mizoram में 200 किलोग्राम जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर बरामद