"भारत का संविधान सिर्फ शासन का ढांचा ही नहीं, बल्कि इसमें जीवन का दर्शन भी समाहित है"– पूर्व न्यायधीश, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल

By प्रेस विज्ञप्ति | Nov 08, 2025

नई दिल्ली। युवा संगठन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक युवा संवाद “विमर्श 2025” का भव्य उद्घाटन कमला नेहरू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ। इस वर्ष का विषय है — “संविधान: भारत की आत्मा (Samvidhan – The Soul of Bharat)”, जिसके अंतर्गत युवा, शिक्षाविद् और विचारक एक साथ आए ताकि भारत के संवैधानिक मूल्यों और उसकी जीवंत भावना पर विचार किया जा सके।


कार्यक्रम की शुरुआत दक्षिण भारत के प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य से हुई, जिसने भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का सुंदर प्रदर्शन किया। तत्पश्चात महाराष्ट्र के लोकनृत्य की अद्भुत प्रस्तुति ने पूरे सभागार में उत्साह और उल्लास का वातावरण बना दिया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के उपरांत प्री-विमर्श प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।


उद्घाटन सत्र की शुरुआत कविंदर तालियान द्वारा की गई, जिन्होंने ‘युवा’ के उद्देश्य और उसकी यात्रा का परिचय देते हुए कहा कि “जैसी दिशा युवाओं को मिलेगी, वैसी ही देश की दशा होगी।” इसके पश्चात विमर्श संयोजक डॉ. प्रतिभा त्यागी, ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। कैंपस क्रॉनिकल का वार्षिक पत्रिका “संविधान – द सोल ऑफ भारत” का लोकार्पण किया।


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. अशोक कुमार नागावत (कुलपति, डीएसईयू) ने संविधान की समकालीन प्रासंगिकता पर अपना विचार रखा। उन्होंने युवाओं से संविधान की भावना को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया।


प्रो. डॉ. पवित्रा भारद्वाज (प्राचार्या, कमला नेहरू कॉलेज) ने युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित किया और कहा कि “संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा है।”


प्रो. बालाराम पाणी (डीन ऑफ कॉलेजेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने कहा कि “विमर्श जैसा मंच युवाओं को विचारशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा प्रदान करता है।”


मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता माननीय पूर्व न्यायधीश, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि “भारत का संविधान विश्व के सबसे जीवंत संविधानों में से एक है, जिसमें शासन का ढांचा ही नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी समाहित है।” उन्होंने युवाओं से संविधान के मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाने का आग्रह किया।


कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी ने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “विमर्श 2025” युवाओं के विचारों का ऐसा संगम है जो भारत के भविष्य की दिशा तय करेगा।”

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