By अनन्या मिश्रा | Dec 18, 2025
गंगा नदी के किनारे बसा वाराणसी एक बेहद खूबसूरत शहर है। वाराणसी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। क्योंकि यहां के कण-कण में महादेव का वास है। वाराणसी का काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में फेमस है। वाराणसी अपने विशाल मंदिरों, घाटों और अन्य लोकप्रिय स्थानों के कारण फेमस है।
यहां पर हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। वाराणसी सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों के बीच भी काफी फेमस है। ऐसे में अगर आप वाराणसी घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको वाराणसी की कुछ टॉप जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही वाराणसी आने के बाद यहां की गंगा आरती में शामिल होना न भूलें।
बता दें कि वाराणसी की सुबह का नजारा बेहद अद्भुत होता है। सुबह जल्दी उठकर किसी घाट पर बैठें और खुली आंखों से सूर्योदय देखें। ऐसा करने से मन को काफी शांति मिलती है। गंगा नदी, नारंगी-पीला सूरज और घाट का सुकून इतना ज्यादा सुंदर होता है कि यहां के अलावा आपको यह नजारा कहीं और नहीं देखने को मिल सकता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और उपनिषदों में भी किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर की मान्यता इतनी है कि भगवान शिव में आस्था रखने वाले व्यक्ति जीवन में एक बार यहां दर्शन के लिए जरूर आते हैं। ऐसे में आप जब भी वाराणसी आएं, तो काशी विश्वनाथ के दर्शन करना न भूलें।
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती पूरी दुनिया में मशहूर है। गंगा आरती को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस स्थान पर दशाश्वमेध यज्ञ किया था। गंगा आरती देखना एक ऐसा सुखद अनुभव है, जिसको शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है। ऐसे में अगर आप भी वाराणसी आ रहे हैं, तो एक बार आपको गंगा आरती जरूर देखनी चाहिए।
वाराणसी के अस्सी घाट पर संकट मोचन हनुमान मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण साल 1900 के दशक में स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय ने करवाया था। यह मंदिर भगवान श्रीराम और हनुमान जी को समर्पित है। वाराणसी आने वाला हर व्यक्ति इस मंदिर के एक बार दर्शन जरूर करता है। संकट मोचन हनुमान मंदिर में चढ़ाएं जाने वाले लड्डू यहां के स्थानीय लोगों के बीच काफी फेमस है।
बता दें कि वाराणसी से सारनाथ की दूरी करीब 10 किमी है। भगवान बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने अपना पहला उपदेश यहीं पर दिया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी अक्सर यहां आते रहते हैं। यहां पर मंदिर, संग्रहालय, स्तूप और भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ भी यहां पर पाए जाते हैं। सारनाथ के दर्शन से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।