श्रद्धांजलि ज़रूरी है (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Jul 13, 2022

किट्टी पार्टी महिला पार्टी होती है उसमें क्या हुआ, पत्नी ख्वाब में भी बताती नहीं, मगर कल शाम आयोजित हुई विशेष किट्टी बारे गौरव महसूस करते उन्होंने बताया कि भविष्य में ख़ास किट्टी में किसी भी कारण शहीद हुए लोगों को धूमधाम से श्रद्धांजलि दी जाएगी। किट्टी पार्टी में शहीदों को धूमधाम से श्रद्धांजलि? मैं अचकचाया, मगर अगले ही पल उन्होंने सॉरी बोलते हए ‘धूमधाम’ की जगह ‘सच्चे दिल से’ चिपका दिया। उन्होंने कहा, अवर कंट्री इंडिया में पहली बार बिल्कुल नए तरीके से सोचा गया है श्रद्धांजलि अर्पित करने बारे। हम फिल्मी या टीवी कलाकारों की तरह नाच, उछल, गाकर श्रद्धांजलि नहीं देंगे क्योंकि इसके लिए हाल बुक करना पड़ेगा। डांसर्ज व सिंगर्ज के इलावा कई लोगों से मिलना पड़ेगा। अध्यक्ष बनाना पड़ेगा जो वीआईपी टाईप हो ताकि प्रैस आए और कवरेज मिले। चाय नाश्ते का इंतजाम भी करना पड़ेगा। ज्यादा सिरदर्द तो पैसा इकठ्ठा करना है। 


मैंने कहा रहने दो, श्रद्धांजलि देना ज़रूरी नहीं। क्या करें… अब डिसाइड कर लिया है। उस उतावली दामिनी ने प्रैसनोट जारी कर दिया है कल खबर छप जाएगी। मैंने कहा परेशान होने की बात नहीं, आप लोग ग़लत काम नहीं करने जा रहे। श्रद्धांजलि देना तो पुण्य कमाना है। ठंडे दिमाग़ से सामान्य व कम खर्च वाला काम सोचो। पत्नी बोली हम शहीदों के बच्चों को निशुल्क पढ़ाकर सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं मगर अपने बच्चों के लिए टयूटर ढूंढने में परेशान रहते हैं उनके लिए ढूंढना सिरदर्दी बढ़ाना होगी। सरकारी स्कूल में मेडिकल चैकअप कराकर श्रद्धांजलि दे सकते हैं लेकिन हर क्लास में बच्चों की भीड़ का चैकअप करवाना पड़ेगा। नॉनवर्किंग लेडिज़ क्लब के साथ वृक्षारोपण करवाकर भी श्रद्धांजलि दे सकते हैं। मैंने होटों पर उगी मुस्कुराहट काटते हुए कहा, कुछ नया सोचो, समय के साथ सोच को बदल देना चाहिए। चेहरे पर तपाक से ग्लो लाकर बोली, स्कूल में फैशन शो करवा देते हैं। 

इसे भी पढ़ें: इंसान का घटता कद (व्यंग्य)

इंडियन कल्चर से प्रेरित फैशन शो के माध्यम से श्रद्धांजलि दे सकते हैं। इस बहाने बच्चे, अध्यापक और अभिभावक सभी की हिस्सेदारी हो जाएगी। खूब लोग आएंगे, पैसा भी खुश होकर देंगे। मैंने कहा आप बिना पैसा इकठ्ठा किए व खर्चे भी श्रद्धांजलि दे सकती हैं, जैसे हर महीने के पहले सप्ताह में नियमित रूप से एक प्रेस रिलीज देकर या फिर बिना किसी से कहे, कोई कार्यक्रम किए बिना यानी बिना शोर मचाए,  सादगी से मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर कि जिनके घर से हमेशा के लिए कोई चला गया उन्हें आत्मशक्ति व आर्थिक सुविधा मिल जाए। उन्हें यह सब सहने की हिम्मत दे। पत्नी की किट में जवाब पहले ही था, बोली हम कुछ भी करें, मगर यह बात पक्की है हम जो भी करेंगे दिमाग से करेंगे, आप चिंता न करें। मैंने कहा दिमाग़ से करेंगे या दिल से, हां हां… … दिल से, बोली।


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी