तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने बेरोजगारी, संघीय व्यवस्था को ठेस पहुंचाने को लेकर सरकार को घेरा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 03, 2022

नयी दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सहित कई दलों के सदस्यों ने राष्ट्रपति के अभिको निराशाजनक करार देते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को बेरोजगारी, सरकारी संपत्तियों को बेचे जाने, केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करने और संघीय व्यवस्था को ठेस पहुंचाने जैसे विषयों को उठाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि यह बेहद निराशाजनक है और इसमें सिर्फ ‘‘मोदीनामा’’ है। उन्होंने कहा कि आज जो अर्थव्यवस्था की हालत हैं, कभी इतनी खराब नहीं रहे। बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए सरकार ने कहा कि आज जो बेरोजगारी की दर है, देश में कभी यह स्थिति नहीं रही।उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया गया है जबकि कुछ चुनिंदा लोगों की जेब में ही पैसे गए हैं। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचे जाने का मामला उठाते हुए सरकार ने सवाल उठाया कि सरकार किसे फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाए जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक अमेरिकी बीमा कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार भारतीय बीमा निगम को बेचने की तैयारी कर रही है।

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उन्होंने देश में कोविड-19 रोधी टीकाकरण में देरी करने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस देरी की वजह से देश को जो नुकसान हुआ है, उसके लिए इस सरकार को कभी माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और दावा किया कि सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और प्रर्वतन निदेशालय जैसी संस्थाओं कभी बेहद पेशेवराना अंदाज में काम करती थी लेकिन इस सरकार ने उन्हें भी आघात पहुंचाया। सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने, आईएएस (संवर्ग) नियामवली 1954 के प्रस्तावित संशोधन संबंधी फैसलों का उल्लेख करते हुए सरकार ने कहा कि विपक्ष शासित राज्य सरकारें इन फैसलों का विरोध कर रही हैं लेकिन इसके बावजूद इन एकतरफा फैसलों को उनपर थोपा जा रहा है। इन फैसलों को उन्होंने संघीय व्यवस्था को ठेस पहुंचाने वाला करार दिया। द्रमुक के आर एस भारती ने राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा (नीट) के दायरे से तमिलनाडु को बाहर ना रखे जाने को संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में राज्य सरकार ने प्रस्ताव पारित किया है लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है।

उन्होंने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि लोकसभा में बहुमत होने के बावजूद सरकार यह विधेयक क्यों लेकर नहीं आ रही है। बीजद के सस्मित पात्रा ने धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि समानता और संघीय व्यवस्था पर सरकार चर्चा तो करती है लेकिन कहीं ना कहीं आज यह कमजोर हुआ है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सबका साथ, सबका विकास का नारा देने वाली सरकार संघीय व्यवस्था में ना तो सबको साथ ले रही और ना ही सबका विश्वास ले रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में संघीय व्यवस्था के बारे में एक शब्द भी उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या इसकी आवश्यकता नहीं है? या फिर यह आउट ऑफ सिलेबस हो गया या आउट ऑफ कांटेक्सट हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ उड़ीसा का विषय नहीं है...संघीय व्यवस्था पर सवालिया निशान है...अगर सरकार सुन रही है तो इनपर काम करे।’’ असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में कृषि, स्वास्थ्य, आधारभूत क्षेत्र एवं खेलों में भारत की प्रगति की जो सराहना की गयी है, वह उसका समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए बहुत बड़ी बात है कि देश की बुजुर्ग आबादी के 70 प्रतिशत का कोरोना रोधी पूर्ण टीकाकरण कर दिया गया है।

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उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा महसूस की जा रही परेशानी के बावजूद देश में कृषि उत्पादन में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा सरकार ने बड़ी स्तर पर कृषि उत्पादों की खरीद कर किसानों को पर्याप्त आय प्रदान की है। वैश्य ने कहा कि असम से भी कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ा है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय एथलीट और खिलाड़ियों की उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के खिलाड़ियों की शानदार उपलब्धि रही। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क-रेल-वायु यातायात संर्पक बढ़ाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के सबसे अधिक कैंसर रोगी असम एवं पूर्वोत्तर में हैं। उन्होंने असम विशेषकर ऊपरी असम में कैंसर उपचार के लिए अत्याधुनिक सुविधा स्थापित करने की मांग की। आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों एवं ईसाइयों के खिलाफ घृणात्मक हमलों का अभिभाषण में कोई उल्लेख नहीं है। यद्यपि उन्होंने कौशल विकास के प्रयासों के लिए मोदी सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के आने के बाद वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि आज समाज के कुछ लोग महात्मा गांधी का असम्मान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति पर रोक लगायी जानी चाहिए।

जनता दल (यू) के रामनाथ ठाकुर ने महामारी का टीका बनाकर भारत एवं विदेश के लोगों की जान बचाने के लिए वैज्ञानिकों और सरकार को बधाई दी। उन्होंने रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा उपकरणों को देश में ही बनाने और विदेशी मुद्रा की बचत करने के प्रयासों के लिए सरकार की सराहना की। उन्होंने बिहार सहित विभिन्न राज्यों में गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती की पहल करने की भी सराहना की। उन्होंने सरकार से मांग की कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं का विस्तार करें। उन्होंने कहा कि कम से कम हर पंचायत में एक बैंक शाखा खोली जाए। निर्दलीय अजय कुमार भुइयां ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में किसानों की आय दोगुनी करने, दो करोड़ नौकरी मुहैया कराने, पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार की आय बढ़ रही है वहीं आम व्यक्ति की आय निरंतर कम हो रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए लग रहा है कि आम आदमी को अच्छे दिन देखने के लिए अभी 25 और साल की प्रतीक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार नगा शांति समझौते के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया है। भुइया ने कहा कि उनका मानना है कि जब नगा संघर्ष का समाधान नहीं हो जाता क्षेत्र में शांति वास्तविकता न बनकर एक छलावा बनी रहेगी।

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