By अभिनय आकाश | Sep 22, 2025
अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस एक बार फिर से सुर्खियों में है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान को सीधी चेतावनी दी है कि अगर बगराम एयरबेस हमें वापस नहीं दिया तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। लेकिन अब तालिबान ने भी बड़ा पलटवार कर दिया है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान पर तालिबान ने जोरदार पलटवार किया है। अफगानिस्तान विदेश मंत्री ने साफ कर दिया कि हम अमेरिकियों को अपनी जमीन का एक इंच भी नहीं देंगे। हम अमेरिकियों को अपनी ज़मीन का एक कण भी नहीं देंगे, एयरबेस तो दूर की बात है। ज़रूरत पड़ी तो हम उनसे अगले 20 साल तक लड़ेंगे।
इस्लामिक अमीरात के उपप्रवक्ता हमीदुल्लाह फितरत ने भी दोहा समझौते को याद दिलाते हुए कहा कि अमेरिका ने वााद किया था कि वो अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं करेगा यानी की सेना नहीं उतारेगा। तालिबान का संदेश साफ है कि अफगानिस्तान की आजादी पर कोई समझौता नहीं होगा। अमेरिका को यथार्तवादी औऱ तर्क संगत नीति अपनानी होगी। मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान की विदेश नीति आर्थिक हितों पर केंद्रित है।
उन्होंने सभी देशों से साझा हितों के आधार पर संबंध कायम करने का आग्रह किया। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका को सभी द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान कई बार यह बताया जा चुका है कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है।
मुजाहिद ने कहा कि अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहना चाहिए। मुजाहिद ने बगराम के संबंध में ट्रंप प्रशासन के साथ हुई बातचीत तथा ट्रंप के बयान के बारे में एसोसिएटेड प्रेस के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। पिछले वर्ष अगस्त में तालिबान ने बगराम पर अपने कब्जे की तीसरी वर्षगांठ मनाई थी, जिसमें छोड़े गए अमेरिकी साजो-सामान प्रदर्शित किया गया था। इस प्रदर्शन ने व्हाइट हाउस का ध्यान आकर्षित किया था। यह याद रखा जाना चाहिए कि दोहा समझौते के अंतर्गत अमेरिका ने यह संकल्प लिया था कि वह अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध बल का प्रयोग या धमकी नहीं देगा, न ही उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा।
चीन से निकटता के कारण बगराम अमेरिका के लिए एक रणनीतिक केंद्र बन गया है। ट्रंप ने दावा किया है कि यह दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है और इसका 3,600 मीटर लंबा रनवे मालवाहक विमानों के साथ-साथ बमवर्षक विमानों को भी उड़ाने में सक्षम है। ट्रंप ने यह भी कहा था कि इस हवाई अड्डे पर चीन का नियंत्रण है, हालाँकि तालिबान ने इस आरोप का खंडन किया है। ये एयरबेस न केवल अफगानिस्तान के सैन्य और राजनीतिक संतुलन का केंद्र रहा। बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति चीन, रूस, ईरान और मध्य एशिया पर नजर रखने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।