By Ankit Jaiswal | Nov 03, 2025
एक इंटरव्यू के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा दावा किया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान चोरी छिपे परमाणु परीक्षण कर रहा है, और यह सब बिना किसी वैश्विक नज़र के हो रहा है। ट्रंप ने ये बातें CBS न्यूज़ के कार्यक्रम '60 मिनट्स' में कही, जहां उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका भी जल्द ही अपने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने वाला है।
बता दें कि अमेरिका ने करीब तीन दशकों से कोई पूर्ण पैमाने का भूमिगत परमाणु परीक्षण नहीं किया है। ट्रंप का कहना है कि पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे देश गुप्त रूप से परीक्षण करते आ रहे हैं और दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगने दे रहे हैं। गौरतलब है कि ट्रंप ने कहा कि ये देश "अंडरग्रांउड टेस्ट" कर रहे हैं, जिन्हें न तो सार्वजनिक किया जाता है और न ही मीडिया में चर्चा होती है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ट्रंप ने यह तर्क दिया कि अगर दूसरे देश परीक्षण कर रहे हैं तो अमेरिका को पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि "अमेरिका अकेला देश नहीं हो सकता जो परमाणु परीक्षण नहीं करता," और ज़ोर दिया कि अन्य देशों की गतिविधियों पर नज़र रखते हुए, अमेरिका को भी अपने परमाणु कार्यक्रम की विश्वसनीयता बनाए रखने की ज़रूरत है। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका के पास "किसी भी देश से अधिक परमाणु हथियार" हैं और उनका मानना है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो इनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
ट्रंप ने इस बातचीत के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव पर भी टिप्पणी की। उन्होंने दोबारा दावा किया कि उन्होंने इस साल की शुरुआत में इन दोनों देशों के बीच एक संभावित "परमाणु युद्ध" टालने में अहम भूमिका निभाई। उनका कहना था कि उन्होंने व्यापार और टैक्स के ज़रिये दबाव बनाया, जिसके चलते दोनों देशों ने तनाव कम किया। हालांकि, भारत की ओर से इस दावे को पहले भी खारिज किया जा चुका है और यह कहा गया है कि किसी थर्ड पार्टी की मध्यस्थता के बिना दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद ही सीज़फायर लागू हुआ था।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाए जाएंगे और किसी तीसरे देश की दखलअंदाजी स्वीकार्य नहीं होगी। वहीं, ट्रंप के इन नए दावों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिका वाकई परमाणु परीक्षण की नई दौड़ में शामिल होने जा रहा है और इसका दुनिया के रणनीतिक हालात पर क्या असर पड़ेगा हैं।