By रेनू तिवारी | Sep 24, 2025
हाल ही में हुए भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष में, तुर्किये ने संघर्ष से पहले और बाद में पाकिस्तान को स्पष्ट समर्थन देने में दृढ़ता दिखाई। तुर्की सरकार के करीबी सूत्रों ने दावा किया कि तुर्की के मालवाहक विमानों ने पाकिस्तान को सैन्य सामग्री पहुँचाई, हालाँकि तुर्की के अधिकारियों ने इसका खंडन किया। यह लंबे समय में तुर्किये द्वारा दिया गया सबसे ज़ोरदार बयान है, जो उसके पूर्व घोषित एशिया न्यू इनिशिएटिव से स्पष्ट रूप से अलग है, क्योंकि तुर्किये अपनी दक्षिण एशिया नीति में व्यापार पर सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
तुर्किये के राष्ट्रपति तैयब एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया और कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल संघर्ष के बाद हुए ‘‘संघर्षविराम’’ से उनका देश ‘‘खुश’’ है।
एर्दोआन ने कहा कि आतंकवाद-रोधी प्रयासों में भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग देखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर और कश्मीर के हमारे भाइयों और बहनों के हित में संवाद के माध्यम से होना चाहिए। हम यही उम्मीद करते हैं।’’
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में हम शांति और स्थिरता को सर्वोच्च महत्व देते हैं। हमें खुशी है कि बीते अप्रैल में पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव के बाद संघर्षविराम स्थापित हुआ। ऐसा तनाव जो संघर्ष का रूप ले चुका था।’’ हाल के वर्षों में तुर्किये के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में अपने संबोधन के दौरान बार-बार कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया है।
भारत ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गयी थी, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। भारत के हमलों के बाद चार दिन तक दोनों देशों के बीच झड़पें हुईं और आखिरकार 10 मई को सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी।
रेचेप तैयप एर्दोगन की टिप्पणी कश्मीर मुद्दे में तुर्की की निरंतर कूटनीतिक रुचि को उजागर करती है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक विवाद का विषय रहा है। हालाँकि उनका भाषण संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित एक प्रस्ताव पर केंद्रित था, एर्दोगन पर पहले भी संघर्ष के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें पाकिस्तान की स्थिति का सार्वजनिक समर्थन, उसे "भाई राष्ट्र" कहना और कथित तौर पर पाकिस्तान की सहायता के लिए बायरकटर टीबी2 और वाईआईएचए ड्रोन और सैन्य ऑपरेटिव की आपूर्ति करना शामिल है।
रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तान द्वारा संचालित अभियानों के दौरान दो तुर्की ऑपरेटिव मारे गए, जिससे हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष में तुर्की की भागीदारी को लेकर विवाद और गहरा गया।
इन आरोपों और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के सार्वजनिक रुख ने भारत में तुर्की के सामान और पर्यटन के बहिष्कार आंदोलन को जन्म दिया।
पहलगाम आतंकवादी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकवादी ढाँचे को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इन हमलों के कारण चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच टेलीफोन पर बातचीत के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के साथ समाप्त हुईं।