By टीम प्रभासाक्षी | Mar 11, 2022
यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। प्रतिबंधों से परेशान रूस की तेल कंपनियां भारत को तेल पर भारी छूट ऑफर कर रही हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस की तेल कंपनियां भारत को कच्चे तेल की कीमत पर 25 से 27 फीसद तक की छूट की पेशकश कर रही हैं।
यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के कई बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम से हटा दिया गया है जिसके बाद रूस के लिए दूसरे देशों के साथ व्यापार करना मुश्किल हो गया है। रूस की सरकार इस हालात से निकलने के लिए एक नया पेमेंट सिस्टम तैयार करने में लगी है अगर यह हो जाता है तो भारत के साथ रूस का तेल व्यापार बढ़ पाएगा।
इस रूसी कंपनी से तेल खरीदता है भारत
रूस की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) से भारत अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है। पिछले वर्ष दिसंबर में जब रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भारत आए थे, तब रोसनेफ्ट और इंडिया ऑयल कॉरपोरेशन ने 2022 के आखिरी तक नोवोरोस्सिएक्स बंदरगाह के जरिए भारत को दो करोड़ टन तेल की आपूर्ति के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किए थे। वैसे भारत मध्य पूर्व पर तेल खरीद के लिए निर्भर है लेकिन वह अमेरिका और रूस जैसे देशों से तेल खरीद बढ़ाने की ओर आगे बढ़ रहा है ताकि तेल के आयात में विविधता आए।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि रूसी तेल कंपनियां ब्रेंट क्रूड ऑयल की पुरानी कीमतों पर 25 से 27 30 फीसदी तक की छूट दे रही हैं, जो निश्चित तौर पर एक आकर्षक प्रस्ताव है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि तेल खरीद का भुगतान कैसे किया जाएगा। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि प्रतिबंधों के बीच रूस के साथ व्यापार शुरू करने से पहले भारत को बेहद सतर्क रहना चाहिए। यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच उससे तेल खरीदना कई देशों को नाराज कर सकता है क्योंकि वह इसे रूस को वित्तीय सहायता देने के रूप में भी देख सकते हैं।
आरबीआई खोज रहा है वैकल्पिक रास्ता
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंध लगाए जाने से ठीक पहले रूस के कच्चे तेल की कीमत 11.60 बैरल नीचे चली गई थी। इसके बावजूद भी रूस के कच्चे तेल की बोली नहीं लगी, क्योंकि रूस पर संभावित प्रतिबंधों को देखते हुए तेल के खरीदार नहीं मिले। रूस के कई बैंकों को शिफ्ट बैंकिंग सिस्टम से निकाल दिया गया है, जिस वजह से रूस के साथ कारोबार करना विश्व के दूसरे देशों के लिए मुश्किल हो गया है। भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक रूप से अपने आयात के भुगतान के लिए वैकल्पिक रास्ता खोज रहे हैं। भारत बैंकों और कंपनियों से इसे लेकर कोई रास्ता निकालने को लेकर बात कर रहा है।