Sri Mouneshwar Temple: कर्नाटक के इस अनोखे मंदिर में प्रसाद में मिलता हैं गांजा, वजह जान दांतो तले दबा लेंगे उंगली

By अनन्या मिश्रा | Apr 26, 2023

हमारा देश संस्कृति और परम्पराओं से घिरा हुआ है। यही वजह है कि यहां पर आपको हर क्षेत्र में अलग तरह का रहन-सहन और अलग-अलग संस्कृति देखने को मिलेगी। भारत आस्था को लेकर भी अन्य देशों की तुलना में काफी आगे है। उदाहरण के लिए भारत में गांजा बेचना और गांजे का सेवन करना अपराध मान जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में एक ऐसा मंदिर भी हैं, जहां पर प्रसाद के तौर पर गांजा दिया जाता है।


यह मंदिक उत्तरी कर्नाटक में स्थित है। इस मंदिर को श्री मौनेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। अब आपके भी मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर प्रसाद के तौर पर गांजा क्यों दिया जाता है। साथ ही कौन लोग इसका सेवन करते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको इस अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

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इस समुदाय में बंटता है ज्यादा प्रसाद

यहां के कुछ मंदिरों में गांजे को भगवान के प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस प्रसाद को लोग बड़े शौक से ग्रहण करते हैं। शारना, अवधूत, शपथ जैसे समुदाय के लोग इसे भगवान का प्रसाद मान कर अलग-अलग रूप में इसका सेवन करते हैं। बता दें कि मंदिरों में यह परंपरा आज से नहीं बल्कि कई सालों से चली आ रही है और लोग इसे पूरी श्रद्धा से मानते भी हैं।


आध्यात्मिक शांति

यहां के लोगों का मानना है कि गांजे का सेवन करने से उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है। जनवरी के महीने में कर्नाटक के यादगीर जिले के मौनेश्वर मंदिर में हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है। मौनेश्वर या मनप्पा की पूजा-अर्चना के बाद लोगों को गांजे के पैकेट्स दिए जाते हैं। जिसे लोग पानी में उबाल कर खाते हैं। इसके अलावा कई लोग इसका तम्बाकू के तौर पर भी सेवन करते हैं।


मंदिर की परंपरा

कई सालों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर मंदिर की समिति के सदस्यों का कहना है कि यह मंदिर की परंपरा है। यहां के साधु-संत गांजे को पवित्र घास मान ते हैं। जो उनको आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर ले जाने में मदद करती हैं।


ध्यान के लिए गांजे का सेवन

आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां के अधिकतर लोग ध्यान लगाने के लिए गांजे का सेवन करते हैं। शारना समुदाय का मानना है कि मंदिर के गांजे को खाने से लोगों में इसकी लत नहीं पड़ती है। इसलिए अधिकतर लोग दिन में या हफ्ते में 1 बार इसका सेवन जरूर करते हैं। ताकि वह लोग ध्यान लगा सकें। भले ही आपको यह परंपरा अजीब लग रही हो, लेकिन लोग प्रसाद के नाम पर जमकर गांजे का सेवन करते हैं।


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