यूपी के कैबिनेट मंत्री और पूर्व बल्लेबाज़ चेतन चौहान का निधन, कोरोना से थे संक्रमित

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 17, 2020

नयी दिल्ली। पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान का कोविड-19 संबंधित दिक्कतों के चलते रविवार को निधन हो गया। चौहान को करीब 36 घंटे से जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा हुआ था, वह 73 वर्ष के थे। अंतरराष्ट्रीय शतक लगाये बिना भारतीय क्रिकेट के सबसे मशहूर बल्लेबाजों में से एक चौहान उत्तर प्रदेश कैबिनेट में सैनिक कल्याण, होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा मंत्री थे। चौहान के परिवार में पत्नी और बेटा विनायक है। उनके छोटे भाई पुष्पेंद्र ने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई चेतन चौहान बीमारी से लड़ते हुए आज हमें छोड़कर चले गये। मैं उन सभी का शुक्रिया करना चाहूंगा जिन्होंने उनके ठीक होने के लिये प्रार्थना की। उनका बेटा विनायक किसी भी समय पहुंच जायेगा और फिर हम उनका अंतिम संस्कार करेंगे। ’’ वह उत्तर प्रदेश के दूसरे मंत्री हैं जिनका कोरोना वायरस से निधन हो गया। दो अगस्त को राज्य की तकनीकी शिक्षा मंत्री कमला रानी वरूण (62) का भी कोविड-19 पॉजिटिव आने के कुछ दिन बाद निधन हो गया था। महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर के साथ लंबे समय तक सलामी जोड़ीदार रहे चौहान को कोविड-19 पॉजिटिव पाये जाने के बाद 12 जुलाई को लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में भर्ती कराया गया था। किडनी संबंधित बीमारियों के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया जिससे उन्हें गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया।

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शुक्रवार रात को उनके कई महत्वपूर्ण अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुभवी सदस्य को श्रृद्धांजलि दी। मोदी ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा, ‘‘चेतन चौहान ने पहले शानदार क्रिकेटर और फिर मेहनती राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनायी। उन्होंने जनता की सेवा और उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में प्रभावी योगदान दिया। उनके निधन से दुखी हूं। ’’ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायुडू, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक जताया। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि इस साल हुए नुकसान को देखते वह चाहते हैं कि यह साल जल्द से जल्द खत्म हो जाए। गांगुली ने बीसीसीआई के शोक संदेश में कहा, ‘‘जब वह भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे तो मैंने उनके साथ इतना अधिक समय बिताया। वह एक कड़े सलामी बल्लेबाज ही नहीं बल्कि ऐसे व्यक्ति थे जो काफी मजाकिया थे। इस साल को भुलाने की जरूरत है क्योंकि इसने काफी प्यारे लोगों को छीन लिया।’’

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संन्यास लेने के बाद चौहान दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कई पदों - अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और मुख्य चयनकर्ता - पर काबिज रहे। वह 2001 में आस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे थे। वह उत्तर प्रदेश के अमरोहा से 1991 और 1998 में दो बार लोकसभा के लिये चुने गये और 1981 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चौहान ने 12 साल के लंबे क्रिकेट करियर के दौरान 40 टेस्ट खेले जिसमें उन्होंने 16 अर्धशतक लगाते हुए 2084 रन जुटाये। उने नाम दो विकेट भी थे। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतक नहीं जड़ सके और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 97 रन का रहा। वह पहले टेस्ट क्रिकेटर थे जिन्होंने अपना करियर 2000 से ज्यादा रन बनाकर बिना शतक के खत्म किया था। गावस्कर के साथ उन्होंने भारत के लिये मजबूत सलामी जोड़ी बनायी और इन दोनों ने मिलकर 3000 से ज्यादा रन जोड़े जिसमें 12 शतकीय भागीदारियां शामिल थीं। चौहान ने 22 साल की उम्र में मुंबई के खिलाफ प्रथम श्रेणी पदार्पण किया था। सलामी बल्लेबाज के तौर पर उनके करियर के यादगार क्षण में से एक गावस्कर के साथ 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में 213 रन की साझेदारी है जिसमें उन्होंने 80 रन बनाये थे।

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