By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 11, 2025
अमेरिका की आर्थिक और भू-राजनीतिक कार्रवाइयों के कारण ही देश डॉलर से इतर मुद्राओं में व्यापार करने को प्रेरित हुए हैं। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने शुक्रवार को यह बात कही। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर से इतर मुद्राओं में व्यापार करने वाले सभी ब्रिक्स देशों पर 10 प्रतिशत शुल्क का प्रस्ताव भी रखा है। भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान ब्रिक्स के सदस्य हैं। ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि रूस, ईरान तथा वेनेजुएला जैसे देशों पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने डॉलर-आधारित भुगतान को अवरुद्ध कर दिया है जिससे भारत और चीन जैसे देशों को रूस के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ डॉलर से इतर दूसरी मुद्राओं का रुख करना कोई विद्रोह नहीं है... बल्कि एकमात्र रास्ता यही बचा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ रूस-चीन का 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार अब रूबल (रूस की मुद्रा) या युआन (चीन की मुद्रा) में होता है। भारत रूसी तेल के लिए रुपये और दिरहम (संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा) में भुगतान करता है। यहां तक कि सऊदी अरब भी डॉलर से इतर दूसरी मुद्राओं में तेल व्यापार के लिए तैयार है जो 1970 के दशक के ‘पेट्रो-डॉलर’ समझौते को तोड़ रहा है।’’ शोध संस्थान ने कहा, ‘‘ ट्रंप इस तथ्य की अनदेखी कर रहे हैं कि यह अमेरिका की कार्रवाइयां ही थीं, जिन्होंने देशों को डॉलर के विकल्प तलाशने के लिए मजबूर किया।’’
श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रिक्स पर ट्रंप की 10 प्रतिशत शुल्क की योजना और रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत जुर्माना लगाने से देशों के लिए अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ संक्षेप में, ये समझौते महज.. शक्ति के दम पर हासिल आपसी सहमति से हुए समझौते हैं... भारत को सतर्क रहना चाहिए।