By अभिनय आकाश | Mar 14, 2022
जूनियर गांधी परिवार के दो सदस्य मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी दोनों ही इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में दूरी बनाकर रखी। लेकिन यूपी चुनाव के ताजा नतीजों ने पार्टी में दोनों के रुख को और तंग कर सकते हैं। जिस तरह से विभिन्न मुद्दों को लेकर वरुण ने चुनाव से पहले अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। कभी वो किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट के जरिए बीजेपी सरकार को घेरते नजर आते थे तो कभी गन्ना किसानों को लेकर योगी सरकार को पत्र लिखकर आवाज उठाते रहे। वहीं उनकी मां मेनका गांधी भी बीते कुछ महीनों से ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर और पीलीभीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का गृह क्षेत्र माना जाता है। मेनका का संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर पांच विधानसभा क्षेत्रों - इसौली, सुल्तानपुर, सदर, लंभुआ और कादीपुर में विभाजित है। इधर, ने चार सीटें जीतीं वहीं इसौली सीट सपा के खाते में गई। पीलीभीत क्षेत्र जहां वरुण सांसद हैं। इसके अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा क्षेत्रों- बहेरी, पीलीभीत, बरखेड़ा, बीसलपुर और पूरनपुर में विभाजित किया गया है। बीजेपी ने जिले की चार विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया।
मां-बेटे दोनों को पार्टी द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद, भाजपा इस क्षेत्र में अपना वोट आधार बनाए रखने में सफल रही है। 2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने सभी पांचों पीलीभीत विधानसभा क्षेत्रों में भारी अंतर से जीत हासिल की। सुल्तानपुर में उसने पांच में से चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, केवल इसौली को अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) से हार गई। मेनका और वरुण दोनों का पीलीभीत में एक महत्वपूर्ण मतदाता आधार है। मां-बेटे की जोड़ी ने 2014 और 2019 के आम चुनावों में क्रमश: 5 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से सीट जीती थी। हालांकि, दोनों इस साल के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान गायब थे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी, स्टार प्रचारकों की सूची से हटाया गया
2022 के विधानसभा चुनावों से महीनों पहले मेनका र वरुण को अक्टूबर 2021 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति से हटा दिया गया था। यह निर्णय लखीमपुर खीरी घटना पर वरुण गांधी के ट्वीट के कुछ दिनों बाद आया, जिसमें कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री शामिल थे। मां-बेटे को भी यूपी के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर दिया गया।
पिछले साल वरुण ने सार्वजनिक रूप से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी गन्ने के दाम बढ़ाने को कहा था। पीलीभीत के सांसद ने बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और कृषि जैसे मुद्दों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की। बीजेपी से तनातनी के बीच ऐसी अटकलें थीं कि वरुण ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।