जमीन से जुड़े नेता थे विलासराव देशमुख, लातूर के विकास में रहा अहम योगदान

By अंकित सिंह | Aug 14, 2022

विलासराव देशमुख की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह महाराष्ट्र के दो बार मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भी रहे। महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें कांग्रेस के रणनीतिकार के तौर पर भी देखा जाता रहा था। विलासराव देशमुख का जन्म 26 मई 1945 को महाराष्ट्र के लातूर में एक मराठा परिवार में हुआ था। उनके दादा हैदराबाद राज्य में एक राजस्व अधिकारी थे। उनके पिता भी हैदराबाद राज्य के अहम अधिकारी रहे। बाद में उनके पिता गांव के प्रधान बने। विलासराव देशमुख के शुरुआती शिक्षा दीक्षा लातूर में ही हुई। बाद में उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए पुणे भेजा गया। डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने वकालत भी शुरू कर दी थी। 1973 में विलासराव देशमुख की शादी वैशाली से होती है। विलासराव देशमुख के तीन बेटे हैं।


विलासराव देशमुख के दो बेटे अमित देशमुख और धीरज देशमुख हैं जो राजनीति में हैं जबकि रितेश देशमुख देश के सुप्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक हैं। वकालत के दौरान ही विलासराव देशमुख ने समाज सेवा की शुरुआत कर दी थी। लातूर का क्षेत्र हमेशा सूखाग्रस्त रहता था। ऐसे में वे लोगों के कल्याण में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। राजनीति की शुरुआत में वह पहले पंच बने। बाद में ग्राम के सरपंच भी बने। राजनीति की सीढ़ियों को लगातार विलासराव देशमुख अपनी प्रतिभा की बदौलत चढ़ते गए। बाद में वह जिला परिषद के सदस्य भी बने। इसके साथ ही वह लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी रहे. धीरे-धीरे उनका जुड़ाव कांग्रेस से बढ़ता गया. कांग्रेस में उनकी पकड़ भी मजबूत होती गई. विलासराव देशमुख को कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बनाया गया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई बड़े और अहम बदलाव किए जिसकी वजह से खूब सुर्खियों में रहे। 1980 में वह प्रादेशिक स्तर की राजनीति में आए।

इसे भी पढ़ें: हमेशा दूसरों की मदद के लिए सदैव तैयार रहती थीं सुषमा जी

विलासराव देशमुख 1980 से लेकर 1995 तक लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। इस दौरान उन्हें राज्य सरकार में बतौर मंत्री काम करने का मौका भी मिला। महाराष्ट्र सरकार में उन्होंने गृह, ग्रामीण विकास, कृषि, मतस्य, पर्यटन, उद्योग, परिवहन, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, युवा मामले समेत कई अनेक मंत्रालयों को संभाला. विलासराव देशमुख का जन्म भूमि लातूर था और यही कारण रहा कि उनकी कर्मभूमि भी लातूर ही रहा। उन्होंने लातूर को ही अपना चुनावी क्षेत्र बनाया. लातूर के विकास में उनकी भूमिका काफी सराहनीय है। उन्हें 1995 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वह एक बार फिर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1999 में ही उन्हें पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का गौरव प्राप्त हुआ। पहली बार बाहर 13 जनवरी 2003 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें अपने इस कार्यकाल में बीच में मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़नी पड़ी।

इसे भी पढ़ें: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रमों की नींव रखी थी विक्रम साराभाई ने

हालांकि, अगले चुनाव में एक बार कांग्रेस को सफलता हासिल हुई। विलासराव देशमुख को दोबारा मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई। 7 सितंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक मुख्यमंत्री रहे। विलासराव देशमुख के ऊपर कई बड़े और गंभीर आरोप भी लगे। 26/11 मुंबई हमले के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन पर यह भी आरोप लगे कि वे अपने बेटे रितेश देशमुख और फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा के साथ होटल ताज का मुआयना भी करने पहुंचे जिसकी विपक्ष में जबरदस्त तरीके आलोचना की थी। फिल्म निर्माता सुभाष घई को भी सरकारी जमीन देने का आरोप उनपर लगा। बाद में वह केंद्र की राजनीति में सक्रिय हुए। केंद्र में भी कई अहम मंत्रालयों में उन्होंने जिम्मेदारी संभाली। हालांकि वह बिमार भी रहने लगे जिसकी वजह से 14 अगस्त 2012 को 67 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।


- अंकित सिंह

प्रमुख खबरें

Delhi Airport पर एक यात्री की जींस के अंदर छिपाकर रखा गया लगभग 200 ग्राम सोना जब्त

Skill India Mission की पहल के तहत AI certificates देंगी President

Silver Price: दिल्ली में चांदी 2.41 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर

Indigo पर 458 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी जुर्माना, एयरलाइन फैसले को चुनौती देगी