वोटिंग बढ़ सकती है ऐसे (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Mar 05, 2022

चुनाव हमें बहुत पसंद है। इतने चुनाव होते हैं फिर भी वोटिंग भरपूर नहीं होती। हर पार्टी, जाति, क्षेत्र, सम्प्रदाय व धर्म की तिकड़म का आकलन कर उम्मीदवार उगाती है। चुनाव लड़ने वाला चीख चीख कर कहता है कि वही जीतेगा। वैसे तो हमारे नेताओं की प्रेरणा से अब ईमानदार और पारदर्शी वोटर बढ़ते जा रहे हैं। वे किसी वक्ता या नेता का भाषण सुने और देखे बिना, वह्त्सेप सन्देश पढ़े बिना, बिना किसी से बतियाए, अपनी पवित्र आत्मा की आवाज़ पर वोट देते हैं। अनेक बार पति पत्नी दोनों को पता नहीं होता कि किसका वोट किसको गया है। कुछ लाख लोगों पर पिछले दिनों किया गया सर्वे बताता है कि देश के छियासी प्रतिशत लोग कहते हैं कि मतदान अनिवार्य होना चाहिए। हमारे यहां तो शौक के लिए कभी कभार मतदान करने वाले भी हैं। आशंका है यह वही लोग होंगे जो हर चुनाव में कुछ ख़ास चाहते होंगे लेकिन मिलता नहीं होगा।

इसे भी पढ़ें: सरकार ऐसे करे काम (व्यंग्य)

दो रूपए किलो चावल, नया प्रेशर कुकर और देसी घी का नवीनीकरण हो गया है। अब स्मार्ट फोन, लैप टॉप, बिजली के यूनिट या खाते में पैसे से वोटें आती हैं। इस बार कई मतदान केन्द्रों को गुब्बारों, नारों से सजाया, सेल्फी प्वाइंट बनाए, ढोल बजाए, पौधे भेंट किए, पेय पदार्थ रखे और रेड कारपेट बिछाए ताकि वोटिंग बढ़े फिर भी ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा। बहुत से अनुभवी नेताओं का कहना है कि सामूहिक प्रीति भोज ज्यादा वोट डलवा सकता है। विशेषकर यदि उदास वोटरों को पोलिंग बूथ के पड़ोस में देसी घी में बना स्वादिष्ट खाना खिलाया जाए, घर के लिए पैक कर दिया जाए और अंगुली पर वोट देने का पुष्टि निशान देखकर सुनिश्चित उपहार भी दिया जाए तो वोटिंग प्रतिशत निश्चित बढ़ सकता है।


बहुत से नाराज़ और नए वोटरों को डीजे का मनभावन संगीत खींच सकता है। वहां नृत्य कर रही स्वदेशी चियर लीडर्ज़ भी खूब उत्साह बढ़ा सकती हैं। हमेशा के लिए पटाए रखने के लिए उत्सवों और जुलूसों में खिला, पिलाकर और नचाकर एक टी शर्ट भी देनी चाहिए जिस पर लोकतंत्र लिखा हो। विकसित समाज में सुविधाएं बढ़ती जा रही हैं इधर उदास वोटर भी बढ़ रहे हैं। उधर एक एक वोट कीमती बताया जाता रहा है। राजनीतिजी वैसे भी हर वोट की कीमत अदा करने के लिए दिन रात तैयार रहती है तो इस भावना का सम्मान सार्वजनिक होना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: हम सब पॉलिटिक्स में हैं

विशेष विभाग द्वारा दिया गया उपहार खालिस स्नेह समझकर विज्ञापन खर्च का हिस्सा माना जा सकता है। वोटिंग बढाने के लिए करोड़ों के विज्ञापन देने से बेहतर हर वोटर का पेट स्वाद से भरना है। यह काम ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली नगरपालिकाओं में पसरे नव नेताओं के माध्यम से उच्च स्तर का हो सकता है। उपहार विभाग बना देना चाहिए। पक्ष और विपक्ष का पचड़ा ही खत्म। उपहार देने और लेने की हमारी पारम्परिक, समृद्ध संस्कृति को ईमानदार बढ़ावा मिलेगा। उपहार हमारी राष्ट्रीय आदतों में शुमार है। व्यवसाय हो चुकी मुस्कराहट के ज़माने में, लोकतंत्र की ईमारत के नवीनीकरण के लिए, वोट जैसा कीमती सीमेंट बटोरने में, उत्सवी संस्कृति की मदद लेना गलत न होगा।


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

Horoscope 06 December 2025 Aaj Ka Rashifal: सभी 12 राशियों का कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें आज का राशिफल

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई