क्य सच में बलि का बकरा बना था अफजल? सोनी राजदान के उठाए हर सवाल का जवाब यहां पढ़ें

By अभिनय आकाश | Jan 22, 2020

संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी हुए सात साल हो चुके हैं। लेकिन क्या अफजल गुरु को बलि का बकरा बनाया गया था। ये सवाल फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान के ट्वीट से फिर से सुर्खियों में है। सोनी राजदान ने कहा कि अफजल गुरु को बलि का बकरा क्यों बनाया, इसकी ठोस जांच होनी चाहिए। आलिया भट्ट की मां ने अफजल गुरु की फांसी पर सवाल खड़े करते हुए लिखा कि 'यह न्याय का द्रोह है, अगर वह बेगुनाह है तो अब कौन है जो उसे वापस ला पाएगा। यही कारण है कि मृत्युदंड को हल्के में इस्तेमाल नहीं किया जाना है।

हालांकि इस ट्वीट पर मचे बवाल के बाद राजदान ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि कोई भी अफजल को निर्दोष नहीं कह रहा है। पर, देविंदर सिंह पर उसके आरोपों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया। बता दें कि आतंकियों के साथ कार में पाए गए बर्खास्त डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का मामला फिर से सुर्खियों में है। गुरु की पत्‍नी तबस्‍सुम ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि देविंदर सिंह ने उसके पति को रिहा करने के बदले एक लाख रुपये मांगे थे।

देश के सबसे बड़े आतंकवादियों में से एक नाम है अफजल गुरु क्योंकि इस शख्स ने ऐसी साजिश को इंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की जिसे कभी किसी आतंकवादी संगठन ने सपने में भी नहीं सोचा था। लेकिन आपको ये जानकर ये हैरानी होगी कि अफजल कभी डाक्टर बनना चाहता था और सेरो-शायरी का उसे ऐसा शौक था कि उसे कई शायरों के कलाम जुबानी याद थे। तो फिर कला प्रेमी अफजल कैसे इतना बड़ा आतंकवादी बन गया।
कौन था अफजल

  • जम्मू कश्मीर के सोपोर का रहने वाला था।
  • सीमापार मुजफ्फराबाद में ली आतंक की ट्रेनिंग।
  • जम्मू कश्मीर लिबरेसन फ्रंट का सदस्य था। 
  • बाद में जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन का सदस्य बना।
  • आत्मसमर्पण करने के बाद दिल्ली आया। 
  • दिल्ली में रहकर रची संसद हमले की साजिश। 
  • दिल्ली में फार्मास्युटिकल कंपनी में नौकरी करता था। 
  • हमले की साजिश भले ही गाजी बाबा ने रची हो लेकिन उसे अंजाम तक अफजल ने ही पहुंचाया था। 
  • ये भी खुद अफजल ने ही माना था। 

13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकवादी एक एंबेसडर कार में सवार होकर संसद भवन पहुंचे। हथियारों से लैस इन आतंकवादियों ने संसद पर हमला करते हुए 9 लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के दो दिनों के भीतर ही पुलिस ने फ़ोन और सिम कार्ड के जरिए अफज़ल गुरु उनके भाई शौकत हुसैन गुरु, उसकी पत्नी अफसान गुरु (जिसका नाम शादी से पहले नवजोत संधू था) और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएआर गिलानी को गिरफ्तार कर लिया था। 29 अक्टूबर 2003 को उच्च न्यायालय ने अपना फैसला देते हुए अफसान गुरु और एसएआर गिलानी को बरी कर दिया जबकि अफज़ल गुरु और शौकत की फांसी को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ दोनों ही पक्षों ने अपील की और अंततः यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। यहां राम जेठमलानी, शांति भूषण और गोपाल सुब्रमण्यम जैसे बड़े वकीलों ने अलग-अलग पक्षों की पैरवी की। इन सभी के तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने जो फैसला सुनाया उसमें शौकत की फांसी को माफ़ करते हुए दस साल की कैद में बदल दिया गया। अफज़ल गुरु की फांसी को बरकरार रखा गया। अफज़ल गुरु पर फैसला देते हुए न्यायालय ने माना कि उसने आतंकवादियों की हर तरह से मदद की थी। दिल्ली में उन आतंकवादियों के ठहरने से लेकर उन्हें गाडियां, मोबाइल फ़ोन, और बम बनाने के पदार्थ तक दिलवाने का काम अफज़ल ने किया था. लगभग 80 लोगों ने इस मामले में गवाही दी थी जिनमें वे लोग भी शामिल थे। अफजल ने जांच के दौरान अपना अपराध भी स्वीकारा था। अफज़ल गुरु को फांसी देने के विशेष अदालत और उच्च न्यायलय के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, ‘इस बात में कोई संदेह ही नहीं है कि इस मामले में मौत की सजा ही सबसे उचित है। निचली अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा भी यही सजा दी गई है। यह मामला, जिसका भारतीय गणतंत्र के इतिहास में और कोई समानांतर नहीं है, स्पष्ट रूप से बताता है कि यह दुर्लभतम से भी दुर्लभ (रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर) मामला है।’

बता दें कि सोनी राजदान के पति महेश भट्ट नागरिकता संशोधन कानून का खूब विरोध करते रहे हैं। फिल्मकार अकसर अपने ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते नजर आ जाते हैं। लेकिन महेश भट्ट के पुत्र का भी पाकिस्तानी-अमरीकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ सैयद दाऊद गिलानी कनेक्शन की खबरें खूब सुर्खियां बटोर चुकी है। महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट पर लिखी गई जर्नलिस्ट एस हुसैन जैदी की किताब 'हेडली एंड आई' में इस बात का खुलासा हुआ था कि राहुल भट्ट, हेडली की मुलाकात एक अमेरिकन जिम में हुई थी। कहा तो ये भी जाता है कि हेडली ने राहुल को 26/11 वाले दिन मुंबई के उन इलाकों में जाने से मना किया था, जहां आतंकी हमला हुआ था। बेटे पर उठते सवालों पर एक दौर में पिता महेश भट्ट को खुले मंच से कई बार चिल्ला-चिल्ला कर ये कहना पड़ा था कि उनके बेटे राहुल को पता ही नहीं था कि जो इंसान उसका दोस्त है वो एक आतंकवादी है।