By अंकित सिंह | Sep 10, 2025
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक गठजोड़ पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश की टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का अहंकार और अधिकार की भावना राष्ट्रीय राजनीति में उसकी हार का कारण बनी है। रमेश के इस ट्वीट पर तीखा पलटवार करते हुए कि चुनाव से दूर रहने वाली पार्टियाँ अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का साथ दे रही हैं, केटीआर ने कहा कि कांग्रेस अभी भी "या तो हमारे साथ या उनके साथ" की पुरानी रट में फँसी हुई है।
केटीआर ने कहा कि जयराम जी, इसी अधिकार और अहंकार की भावना ने कांग्रेस को समकालीन राजनीति में विफल बनाया है। 'या तो आप हमारे साथ हैं या फिर उनके साथ' का दावा एक मूर्खतापूर्ण तर्क है, जो ऐसा दिखावा करता है मानो देश द्विध्रुवीय है। हम न तो कांग्रेस की बी-टीम हैं और न ही भाजपा की बी-टीम। हम तेलंगाना के लोगों की ए-टीम हैं। कृपया अपनी असफलताओं पर ध्यान दें और हमें झुंझलाहट से बचाएं।
केटीआर ने तर्क दिया कि कांग्रेस भारतीय राजनीति को दोतरफा युद्धक्षेत्र मानती आ रही है जहाँ क्षेत्रीय दलों को अपने-अपने खेमे चुनने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा, "इस रवैये के कारण उन्हें ज़्यादातर राज्यों में अपनी प्रासंगिकता गँवानी पड़ी है।" यह स्पष्ट करते हुए कि बीआरएस की प्राथमिकताएँ तेलंगाना में ही केंद्रित हैं, केटीआर ने कहा कि पार्टी की वफ़ादारी केवल राज्य के लोगों के प्रति है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "हमारी एकमात्र वफ़ादारी तेलंगाना के लोगों के प्रति है। हम उनके कल्याण, उनकी आकांक्षाओं और दिल्ली में उनकी आवाज़ का प्रतिनिधित्व करते हैं - न कि दिल्ली स्थित दलों के सत्ता के खेल का।"
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कांग्रेस नेताओं को सलाह दी कि वे "झूठे द्वैध" के ज़रिए क्षेत्रीय दलों को बदनाम करने की कोशिश करने के बजाय अपनी घटती चुनावी पकड़ और शासन की विफलताओं पर विचार करें। इस बीच, मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में सी. पी. राधाकृष्णन ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हरा दिया। सी. पी. राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 मत मिले, जबकि न्यायमूर्ति रेड्डी को प्रथम वरीयता के 300 मत मिले। 15 मतों को अवैध घोषित कर दिया गया।