By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 03, 2021
लक्षद्वीप के पानी में पीगमी ब्लू व्हेल प्रजाति को लेकर पहली बार कुछ नया सामने आया है। दरअसल इस पानी में पीगमी ब्लू व्हेल गाना पहली बार रिकॉर्ड किया गया है। साल 2015 में दिव्या पेनीकर जब एक से ज्यादा मछुआरों से मिली तो उन्होंने द्वीपों से समूह में व्हेल के होने का दावा किया। आपको बता दें कि दिव्या पेनीकर ओशियनोलॉजी में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं। वह कहती हैं कि इन पूर्वाभासों को देखने के बाद वैज्ञानिक समुदाय के पास इन जल में लुप्तप्राय प्रजातियों के बहुत कम दस्तावेज थे और यदि समुद्री स्तनधारी वास्तव में इन भागों में मौजूद थे, तो क्या वे स्थायी निवासी थे या केवल वहां से गुजर रहे थे?
6 सालों बाद दिव्या को मिला जवाब
6 सालों के बाद दिव्या के पास इन सवालों के कुछ जवाब हैं। वह कहती हैं हमने इन पानी में में पीगमी ब्लू व्हेल गाना पहली बार रिकॉर्ड किया है। लक्षद्वीप में यह उनकी लगातार मौजूदगी का सबूत है। दिव्या पेनीकर ने कहा कि व्हेल को पढ़ना आसान नहीं है। वे लंबी दूरी तक चलती हैं और कुछ समय के लिए ही पानी में ठहरती हैं। दृश्य सर्वेक्षण के दौरान उन्हें समझना आसान है, खासकर अगर मौसम खराब है।
2018 में कावारत्ती आइलैंड में लगाया था माइक्रोफोन
केरल में पली बढ़ी और बेंगुलुरु के नेशनल सेंटर फॉर बायलॉजिकल साइंस की रिसर्चर के तौर पर लक्षद्वीप का पहली बार दौरा करने वाली दिव्या पेनीकर का कहना है कि कुछ किस्में थीं जो स्थानीय लोगों और मछुआरों द्वारा देखे जाने के बारे में बात की गई थीं। साल 2018 में वे कावारत्ती आइलैंड में पानी के अंदर माइक्रोफोन लगाने गई ताकि व्हेल कॉल को रिकॉर्ड कर सकें और साथ ही दूसरा माइक्रोफोन आइलैंड के दूसरे छोर पर लगा दिया। रिकॉर्डिंग्स का विश्लेषण करने पर यह सामने आया कि व्हेल अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं। उन्होंने कहा कि गाने दक्षिण-पश्चिम मानसून से ठीक पहले चरम पर थे, यह दर्शाता है कि व्हेल मौसम के अनुसार एटोल का उपयोग करती हैं। इसका मतलब क्या व्हेल इस दौरान इस एरिया का इस्तेमाल कर रही थी? वे कहती हैं कि शायद व्हेल ट्रैवल कर रही हैं या यह एरिया उन्हें इन महीनों के दौरान खाने के मौके दे रहा है।