डीमैट एकाउंट क्या है? यह कैसे कार्य करता है? इससे क्या फायदा होता है?

By कमलेश पांडे | Jul 14, 2018

सेबी के दिशानिर्देशों के मुताबिक डीमैट को छोड़कर किसी भी अन्य रूप में शेयरों को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। इसलिए यदि आपको शेयर बाजार से स्टॉक खरीदना या बेचना हो तो आपके पास डीमैट खाता (Demat account) होना अनिवार्य है। डीमैट का फुल फॉर्म है 'डिमेटेरियललाइज़्ड'। इसका हिंदी अर्थ है भौतिक रूप में नहीं होना। मसलन, स्टॉक मार्केट के सम्बन्ध में डीमैट एकाउंट का इस्तेमाल एक ऐसे एकाउंट और लॉकर के रूप में किया जाता है, जहां ख़रीदे गए शेयर्स को जमा किया जाता है। 

 

दरअसल, डीमैट एकाउंट को सिर्फ और सिर्फ शेयर्स खरीदने के बाद उसे रखने के काम में लिया जाता है। जब हम लोग शेयर्स को बेचते हैं तो वो शेयर्स हमारे डीमैट एकाउंट से निकल कर शेयर्स खरीदने वाले के डीमैट एकाउंट में जमा हो जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि यह एकाउंट किसी बिज़नेस के गोदाम की तरह होता है, जहां से ख़रीदे गए माल यानि कि शेयर्स को रखा जाता है। और जब उसे बेचा जाता है तो बेचने पर उस गोदाम से माल यानी शेयर्स को निकाल कर खरीदने वालो को सम्मान दे दिया जाता है।

 

#डीमैट एकाउंट का रोचक इतिहास

 

भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने वर्ष 1996 से शेयर्स को डीमैट एकाउंट में जमा करना शुरू कर दिया था। उससे पूर्व जब शेयर्स खरीदने के लिए इन्टरनेट/कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं होता था, तब हम जो भी शेयर्स खरीदते थे वो हमें शेयर सर्टिफिकेट के रूप में हाथों हाथ लेना-देना होता था। यह बहुत अधिक समय लगने वाला काम होता था। यही नहीं, तब शेयर्स सर्टिफिकेट को संभाल कर रखना भी किसी जोखिम भरे कार्य से कम नहीं था।

 

लेकिन जब शेयर्स मार्केट में कंप्यूटर का इस्तेमाल होना शुरू हो गया, तो सभी तरह के शेयर्स को डिमेटेरियलाइज़्ड कर दिया गया। इससे शेयर्स को डिजिटल फॉर्म में कर दिया गया, जिसे हम फिजिकली न तो हाथ में ले सकते हैं और ना ही हमें ख़रीदे गए शेयर्स को आगे संभाल कर रखने की जरूरत होती है। इससे जिसके पास जो भी शेयर्स थे, वो शेयर्स उस शेयर धारक का डीमैट एकाउंट ओपन करके उसके खाते में डिजिटली एक लाकर के रूप में जमा कर दिया गया।

 

हालांकि, जब वह शेयर धारक उस शेयर्स को बेच देता है तो उसके डीमैट एकाउंट से वो शेयर स्वतः निकलकर खरीदने वाले के एकाउंट में जमा हो जाते हैं। स्पष्ट है कि शेयर एक सर्टिफिकेट होता है, जो आज के समय में फिजिकल देखने को नहीं मिलता है, बल्कि पूरी तरह कंप्यूटरीकृत फॉर्म में है, जिसे आप डीमैट फॉर्म में ही खरीद-बेच सकते हैं। अगर किसी के पास पुराने ज़माने के शेयर्स सर्टिफिकेट रखे हुए हैं, मतलब कि कोई शेयर अगर अभी भी फिजिकल फॉर्म में है, तो उस शेयर्स के खरीदने या बेचने से पहले उसे डिजिटल (इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म) में बदलना अनिवार्य है।

 

#डीमैट एकाउंट के फायदे

 

शेयर्स को डीमैट एकाउंट में रखना बहुत ही फायदेमंद है। इसके कुछ खास फायदे हैं जो निम्नलिखित हैं:- पहला, शेयर को होल्ड करने यानि रखने का एकदम आसान और सुविधाजनक तरीका। दूसरा, शेयर्स की कम्पलीट बैंक लाकर जैसी सुरक्षा। तीसरा, शेयर बेचने पर एकदम आसान, सुरक्षित, विश्वसनीय और सुविधाजनक हस्तांतरण। चौथा, जीरो पेपर वर्क–ट्रान्सफर डीड पेपर वर्क की कोई जरूरत नहीं। पांचवां, ट्रांजेक्शन कॉस्ट और स्टाम्प ड्यूटी फीस बिलकुल कम हो जाना। छठा, शेयर का स्वतः क्रेडिट और डेबिट होना। और सातवां, आप दुनिया में कहीं रहते हुए शेयर्स खरीद और बेच सकते हैं।

 

#डीमैट एकाउंट के नुकसान

 

जिस चीज के इतने फायदे हैं तो थोड़े नुकसान और नेगेटिव साइड इफेक्ट्स भी होंगे ही जो निम्न हैं:- पहला, आप कभी नहीं जान सकते हैं कि आपने किसको शेयर बेचा है। दूसरा, आप कभी नहीं जान सकते हैं कि आपने किससे शेयर ख़रीदा है। और तीसरा, स्टॉक ब्रोकर के काम पर बहुत सख्त सुपरविजन की जरूरत है, जिससे कि वो इस सिस्टम का गलत फायदा न उठा सके।

 

#डीमैट एकाउंट कहां-कहां ओपन किया जाता है

 

भारत में सेबी द्वारा बनाए हुए गाइडलाइन के अनुसार डीमैट एकाउंट सर्विस दो प्रमुख संस्थाओं द्वारा दी जाती हैं। पहला, एनएसडीएल (दि नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिट्री लिमिटेड; और दूसरा, सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिट्री सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड)। अगर आपने ध्यान दिया होगा तो आपको पता होगा कि पैन कार्ड भी इन्हीं दोनों संस्थाओं में प्रमुख रूप से एनएसडीएल द्वारा बनाया गया होता है।

 

आपको पता होगा कि जिस तरह पैन कार्ड बनाने के लिए आप किसी एजेंट की मदद से ऑनलाइन एप्लीकेशन देते हैं, और कुछ ही दिनों में आपका पैन कार्ड बन जाता है। वैसे ही आपको डीमैट एकाउंट खोलने के लिए डायरेक्टली एनएसडीएल और सीएसडीएल के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि आप डीमैट एकाउंट खोलने (Open Demat Account) का एप्लीकेशन किसी भी प्रमुख बैंक और स्टॉक ब्रोकर के पास जमा कर सकते हैं।

 

यदि बात की जाए स्टॉक ब्रोकर की तो सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर आपको ट्रेडिंग एकाउंट के साथ-साथ डीमैट एकाउंट खोलने की भी सुविधा देते हैं। डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आपको अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं होती। बस आपको एक ऐसे स्टॉक ब्रोकर या बैंक के पास जाकर एप्लीकेशन देना है जो डीमैट एकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं।

 

कुछ प्रमुख बैंक और स्टॉक ब्रोकर की लिस्ट निम्नलिखित है, जो डीमैट और ट्रेडिंग एकाउंट खोलने की सुविधा साथ-साथ देते हैं:-

 

1. डीमैट एकाउंट ओपन करने वाले बैकों में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी सिक्योरिटीज लिमिटेड, एक्सिस सिक्योरिटीज लिमिटेड और कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड प्रमुख हैं। 

 

2. वैसे प्रमुख स्टॉक ब्रोकर जहां डीमैट एकाउंट खोले जा सके हैं:-

 

शेरखान लिमिटेड और एंजेल ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड। ये लिस्ट बहुत छोटी है, क्योंकि आज कल सभी बैंक डीमैट और  ट्रेडिंग एकाउंट खोलने की सुविधा दे रहे हैं। इसलिए आप अपनी सुविधानुसार अपने नजदीकी बैंक या स्टॉक ब्रोकर के पास जाकर इसके बारे में पता कर सकते हैं।

 

दरअसल, डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आपको ऐसे बैंक या फिर स्टॉक ब्रोकर के पास जाना है जो डीमैट एकाउंट खोलने की सुविधा देता है। वहां आपको एकाउंट ओपन करने का एप्लीकेशन और एप्लीकेशन करने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट देने हैं।

 

#डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आवश्यक डाक्यूमेंट्स

 

आपने अपना बैंक एकाउंट खोलने के लिए बैंक एकाउंट ओपनिंग फॉर्म के साथ-साथ जो भी डॉक्यूमेंट्स बैंक को दिया होगा, वही डॉक्यूमेंट्स आपको डीमैट एकाउंट के लिए भी देना होता है। डीमैट एकाउंट ओपन करने के लिए डॉक्यूमेंट्स के तौर पर आपको 

1. फोटो, 2. पैन कार्ड और 3. आधार कार्ड देना होता है। पैन कार्ड और आधार कार्ड अब अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ-साथ आप अपने एड्रेस को कन्फर्म करने के लिए अन्य डाक्यूमेंट्स भी दे सकते हैं- जैसे, एम्प्लॉयी आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी,  इलेक्ट्रिसिटी बिल, लैंडलाइन बिल, पासपोर्ट, राशन कार्ड, आईटी रिटर्न्स और बैंक स्टेटमेंट। इस तरह आपको सभी डॉक्यूमेंट्स देने की जरूरत नहीं है। डीमैट एकाउंट के लिए आपसे पैन कार्ड और आधार कार्ड अनिवार्य रूप से मांगा जाएगा और साथ में अगर जरूरत पड़ती है तो आपको अन्य डाक्यूमेंट्स में से भी कुछ देने होंगे, सभी नहीं। 

 

#डीमैट एकाउंट खोलने की फीस

 

डीमैट एकाउंट खोलने की कुछ फ़ीस होती है, जो अलग अलग बैंक्स और स्टॉक ब्रोकर के द्वारा अलग अलग अमाउंट के रूप में फ़ीस चार्ज किया जाता है और साथ ही साथ डीमैट एकाउंट खोलने के बाद उसका एनुअल मेंटेनेन्स चार्ज भी होता है, जो आपको डीमैट एकाउंट की सेवा के बदले हर साल एक फ़ीस के तौर पर देना पड़ता है। इसलिए जब भी आप डीमैट एकाउंट खोलने के लिए किसी बैंक के पास या स्टॉक ब्रोकर के पास जाते हैं, तो वहां आप फ़ीस के बारे में जरुर पता करें ताकि आपको बेवजह एक्स्ट्रा चार्ज न देना पड़े। यह बचत आपके किसी काम आएगी।

 

#डीमैट एकाउंट नॉमिनेशन

 

जब भी आप डीमैट एकाउंट ओपन करने जाते हैं तो आपको एप्लीकेशन फॉर्म पे नॉमिनी का नाम डालना होता है। दरअसल, नॉमिनी व्यक्ति का नाम इसलिए डालना जरूरी होता है ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में डीमैट एकाउंट में जमा शेयर्स को नॉमिनी को हस्तांतरित किया जा सके। लिहाजा, यदि आपने डीमैट/ट्रेडिंग एकाउंट ओपन कर लिया है और किसी कारणवश नॉमिनी का नाम नहीं डाला है, तो आप अपने बैंक या स्टॉक ब्रोकर जहां पर भी आपका एकाउंट है, उनसे सम्पर्क करके नामिती (नॉमिनी) का फॉर्म जरूर भर लें। यह भविष्य में होने वाली किसी भी दुर्घटना की स्थिति में बहुत लाभकारी होगा। इसलिए विलम्ब कतई न करें।

 

-कमलेश पांडे

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