कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) क्या है? इसका उद्देश्य क्या है? यूपी में इसका लाभ कौन कौन लोग उठा सकेंगे?

By कमलेश पांडे | Jun 30, 2023

उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने सूबे की जनता को निःशुल्क (फ्री) कानूनी सहायता देने के लिए और छोटे-छोटे विवादों को आपसी समझौते के आधार पर निपटाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत दो वर्ष के लिए कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) को लागू किया है। लिहाजा, योगी सरकार ने प्रदेश की जनता से इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की है ताकि आपराधिक मामलों में सार्वजनिक रक्षक प्रणाली की तर्ज पर आम जन को कानूनी सहायता प्रदान की जा सके। बता दें कि एलएडीसीएस प्रणाली में चीफ, डिप्टी एवं असिस्टेंट काउंसिल की सेवाओं के माध्यम से आम जन को कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी। 


# एलएडीसीएस का उद्देश्य क्या है?

योगी सरकार द्वारा एलएडीसीएस को प्रदेश में लागू करने का उद्देश्य है समाज के कमजोर और निर्बल वर्गों को प्रभावी और कुशल कानूनी सेवाएं प्रदान करना और ऐसा करने के लिए न्यायालय आधारित कानूनी सेवाओं को मजबूत करना है। साथ ही यह पात्र व्यक्तियों को आपराधिक मामलों में गुणात्मक और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करेगा। इसका लाभ अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्य उठा सकते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा किए जा रहे अवैध व्यापार से पीड़ित व्यक्ति भी इसका सीधा लाभ ले सकेगा। इस प्रकार समाज के कमजोर वर्ग को प्रभावी कानूनी सेवाएं देना ही इसका प्रमुख उद्देश्य है।

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# जानिए, कौन-कौन लोग उठा सकेंगे एलएडीसीएस का लाभ

- उत्तरप्रदेश की पीड़ित की महिलाओं, बेटियां और बच्चे। 

- दृष्टिहीनता, कुष्ठ रोग, बहरेपन, दिमागी कमजोरी आदि निर्योग्यता से ग्रस्त व्यक्ति एवं खानाबादोश व्यक्ति । 

- सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, वर्गीय अत्याचार, बाढ़, अकाल, भूकम्प अथवा औद्योगिक आपदा से पीड़ित व्यक्ति। 

- औद्योगिक कामगार।

- किशोर अपचारी अर्थात 18 वर्ष तक की आयु के बालक।

- अभिरक्षा में निरुद्ध व्यक्ति।

- सुरक्षा गृह, मानसिक अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में भर्ती मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति।

- ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय ₹3,00,000/- से कम हो।


# यूपी के लोग जनपद स्तर तक नीचे दिए हुए लाभ उठा सकेंगे

- एलएडीसीएस मुख्यतः जिले अथवा मुख्यालय में आपराधिक मामलों में विशेष रूप से कानूनी सहायता प्रदान करने का कार्य करता है। सभी सत्र न्यायालयों, विशेष न्यायालयों, मजिस्ट्रेट न्यायालयों तथा कार्यकारी न्यायालयों में सभी विविध कार्यों सहित प्रतिनिधित्व, परीक्षण और अपील कर सकेंगे।

- जिला न्यायालय/कार्यालय में उपस्थित होने वाले व्यक्तियों को उनकी प्रतिरक्षा के लिए कानूनी सलाह और सहायता प्रदान करना। 

- नालसा स्कीम के तहत गिरफ्तारी से पूर्व अवस्था में कानूनी सहायता प्रदान करना।

- फौजदारी मामलों में गिरफ्तारी पश्चात् रिमांड स्तर पर, जमानत, विचारण तथा अपील दाखिल करने के लिए।


इससे स्पष्ट है कि अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति रखने वाली योगी सरकार समाज के कमजोर वर्गों को समुचित न्याय दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। ऐसा करके वह जनकल्याणकारी सरकार की अवधारणा को भी परिपुष्ट कर रही है।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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